नई दिल्लीः अगर आप भी हल्की-फुल्की बीमारियों में एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं तो अब आपको जरा सोचने की जरूरत है. जी हां, अक्सर देखा गया है कि लोग सिरदर्द, पेट दर्द, बदन दर्द और दस्त इत्यादि के लिए अपने हिसाब से एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं अब ये एंटीबायोटिक्स भी बेअसर हो रही हैं.



जी हां, एक हालिया रिसर्च में ये बात सामने आई है कि फूड और पानी की खराब क्वा‍लिटी की वजह से एंटीबायोटिक दवाओं ने इंसान के शरीर पर काम करना बंद कर दिया है.

क्या कहती है रिसर्च-
रिसर्च के मुताबिक, दवाएं इतनी बेअसर है कि टायफायड जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भी एंटीबायोटिक्स बेअसर हो रही हैं. दिल्ली में मौजूद खराब पानी और खराब खाने के कारण इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है.

क्या कहते हैं डॉक्ट र्स-
डॉक्‍टर्स का कहना है कि कुछ समय पहले तक ओरल ड्रग अधिकत्तर पेशेंट्स को ठीक कर देती थी लेकिन अब टायफायड के लिए इंजेक्शन के जरिए दी गई एंटीबायोटिक्स भी 20 से 30 पर्सेंट तक ही टायफायड के सिम्टम्स को दूर कर रही हैं. मैक्स हॉस्पिटल साकेत के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ. रोमल का कहना है कि कुछ मामलों में तो इंजेक्ट एंटीबायोटिक्स भी काम नहीं कर रही. ऐसे में डॉक्टर्स पेशेंट का बुखार कम करने के लिए हैवी एंटीबोयाटिक्स दे रहे हैं. दिल्ली के बड़े हॉस्पिटल जैसे अपोलो, गंगाराम और सफदरजंग के डॉक्टर्स ने भी इस बात को स्वीकार किया है.

सफदरजंग हॉस्पिटल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ. बी.के. त्रिपाठी का कहना है कि बहुत से लोग टायफायड कम करने के लिए एंटी फीवर ड्रग यहां तक कि खुद से ही कई तरह की एंटीबोयाटिक्स ले रहे हैं. जब उससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा तब ये लोग हॉस्पिटल आ रहे हैं. ‍डॉ. का कहना है कि हम बहुत से मरीजों को ओरल ड्रग्स और इंजेक्शन मेडिसिन दोनों ही दे रहे हैं.

टायफायड के लक्षण-
डॉक्टर्स की माने तो टायफायड एक मेजर पब्लिक हेल्थ इंफेक्शन है जो कि सैल्‍मोनेला टायफी बैक्टीरिया के कारण फैलता है. इसके होने से मरीज को तेज बुखार होता है. जी मिचलाना, सिरदर्द और एब्डो‍मिनल पेन उठता है. डॉक्टर्स का कहना है कि बहुत से मरीजों का ट्रीटमेंट कॉम्लीकेशंस के कारण फेल हो रहा है यहां तक कि मरीजों की डेथ तक हो रही है.

2010 में ग्लोबल इंफेक्शंस डिजीज में पब्लिश इस रिसर्च में कहा गया कि टायफायड किन कारणों से हो रहा है, ये भी इलाज पर निर्भर करता है. कई लोगों में फूड और वाटर की वजह से ऐसा हो रहा है. कई लोगों में हाइजिन मेंटेन ना करने के कारण हो रहा है.

टायफायड इंफेक्शन से कैसे बचें-
अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. सुरनजीत का कहना है कि साफ-सफाई रखकर, हाथों की हाइजिन मेंटेन कर, साफ पानी पीएं. ये सभी चीजें टायफायड इंफेक्शन को कम कर सकती हैं.

इन बीमारियों का भी नहीं हो पा रहा इलाज-
एक्सपर्ट कहते हैं कि टायफायड के अलावा एंटीबायोटिक्स का असर खत्म होने से निमोनिया, यूरिनरी ट्रैक्स इंफेक्शन और टीबी तक का इलाज करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में डॉक्टर्स का मानना है कि एंटीबायोटिक्स बंद कर देनी चाहिए. जब बहुत ज्यादा जरूरत हो तभी मिलनी चाहिए.