Xerostomia: लार यानी सलाइवा एक नेचुरल माउथ लुब्रिकेंट है, जो न केवल हमारे मुंह को साफ रखता है, बल्कि भोजन को पचाने में भी मदद करता है. लार मुंह के बैक्टीरिया और फंगस को कंट्रोल में रखकर सलाइवा इन्फेक्शन से बचने में भी हेल्प करता है. जब लोग अपने मुंह में सही मात्रा में लार नहीं बना पाते तो उनका मुंह सूख जाता है. इसी स्थिति को जेरोस्टोमिया कहा जाता है. कई बार दवाओं के साइड इफेक्ट्स की वजह से जेरोस्टोमिया की बीमारी पैदा हो सकती है. किसी बीमारी के इलाज के कारण भी जेरोस्टोमिया हो जाता है, जैसे- रेडिएशन या कैंसर के लिए कीमोथेरेपी का इलाज आदि.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जेरोस्टोमिया कई मेडिकल कंडिशन का भी एक दुष्प्रभाव हो सकता है, जिसमें HIV/AIDS, स्जोग्रेन सिंड्रोम, अल्जाइमर की बीमारी, एनीमिया, सिस्टिक फाइब्रोसिस, डायबिटीज, रूमेटाइड अर्थराइटिस, हाई ब्लड प्रेसर, स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग और गलसुआ शामिल हैं. इसके अलावा, सर्जरी या चोट से गर्दन और सिर में नर्व डैमेज की वजह से भी जेरोस्टोमिया हो सकता है. धूम्रपान और तंबाकू के सेवन की वजह से भी मुंह में लार की मात्रा प्रभावित हो सकती है.
जेरोस्टोमिया के लक्षण
1. बार-बार प्यास लगना
2.मुंह में सूखापन रहना, चिपचिपापन महसूस होना
3. मुंह में छाले होना
4. मुंह में जलन और झुनझुनी होना, खासकर जीभ पर
5. गले में सूखापन रहना
6. सूखी और लाल जीभ
7. बोलने में परेशानी होना
8. चखने, चबाने और निगलने में दिक्कत
9. गला खराब होना
10. बदबूदार सांसें
कैसे होता है जेरोस्टोमिया का इलाज?
मुंह में लार की मात्रा बढ़ाने के लिए डॉक्टर मरीजों को मुंह से कुल्ला करने की सलाह दे सकते हैं. ड्राय माउथ के लिए कई स्पेसिफिक माउथवॉश, मॉइस्चराइजिंग जैल और टूथपेस्ट आते हैं. हालांकि इनके बारे में डेंटिस्ट या डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए. लेकिन अगर इन सब चीजों से मदद नहीं मिल पाती तो डॉक्टर एंटोड फार्मास्युटिकल द्वारा ई-सेलिवा प्लस माउथ स्प्रे नाम के सलाइवा प्रोडक्शन वाली दवा भी लिख सकते हैं.
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