इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट मार्केट में कई शेप में मिलते हैं. उदाहरण के लिए कुछ यूएसबी ड्राइव की तरह दिखते हैं और कुछ पेन की तरह दिखते हैं. ई-सिगरेट बेचने वालों का दावा है कि अगर आपको धूम्रपान छोड़ना या कम करना चाहते हैं तो आप ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
वहीं 'खाद्य एवं औषधि प्रशासन' (एफडीए) के मुताबिक इसमें तंबाकू न होते हुए भी यह काफी ज्यादा खतरनाक है. क्योंकि इसमें कई तरह के जहरीले केमिकल्स होते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका का संघीय कानून 21 साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू बेचने की अनुमति नहीं देता है. हालांकि युवाओं के बीच में वेपिंग एक गंभीर समस्या बनी हुई है.
जैसा कि आपको पता यंग-नौजवान लोगों के बीच वेपिंग एक फैशन है. Centers for Disease Control and Prevention (CDC) के अनुसार अमेरिका में युवाओं के बीच तंबाकू का इस्तेमाल दिन पर दिन लगातार बढ़ता जा रहा है.
ई-सिगरेट कैसे बनता है?
साल 2019 में विशेषज्ञों ने बताया कि वेपिंग करने से फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी हो सकती है. ई-सिगरेट, वेपिंग जैसे प्रोडक्ट फेफड़ों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. जिसके कारण EVALI जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है. सीडीसी के अनुसार साल 2020 के फरवरी तक EVALI जैसी खतरनाक बीमारी से 2,807 मामले सामने आए जिसमें से 68 लोगों के मौतों की पुष्टि हुई थी. फिलहाल इस पर रिसर्च जारी है.
नॉर्मल सिगरेट से ई-सिगरेट ज्यादा खतरनाक
ई-सिगरेट एक मशीन की तरह है जो सिगरेट, सिगार, पाइप, पेन या यूएसबी ड्राइव जैसा दिखता है. इसके अंदर जो लिक्विड पाई जाती है वह फ्रूटी या उससे फलों का सुगंध आ सकता है. लेकिन इसमें निकोटीन की मात्रा काफी अधिक हो सकती है. उदाहरण के लिए JUUL डिवाइस USB ड्राइव की तरह दिखते हैं.
साल 2015 में अमेरिकी बाजार में दिखाई दिए और अब देश में ई-सिगरेट का सबसे अधिक बिकने वाला ब्रांड हैं. यंग जेनरेशन का इसका ज्यादा इस्तेमाल करती है. जो एक चिंता का विषय है. इसके जो रिफिल होते हैं वह खीरा, आम, पुदीना के फ्लेवर में मिल सकते हैं. जो बेहद नेचुरल और ऑर्गेनिक लग सकते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके एक रिफिल में 20 सिगरेट के पैक जितना निकोटीन होता है.
कुछ ऐसे काम करता है ई-सिगरेट
माउथपीस: यह एक ट्यूब के सिरे पर लगा हुआ कार्ट्रिज है. अंदर एक छोटा प्लास्टिक कप होता है जिसमें लिक्विड होता है. जिसमें कई सारे पदार्थ होते हैं.
एटमाइज़र: यह तरल को गर्म करता है, जिससे वेपर बनता है ताकि व्यक्ति उसे धुंआ फिल हो सके.
बैटरी: बैटरी माउथपीस के अंदर के लिक्विड को हीट करने का काम करती है.
सेंसर: जब यूजर डिवाइस को चूसता है तो हीटर एक्टिव हो जाता है.
समाधान: ई-तरल, या ई-जूस में निकोटीन, एक आधार, जो आमतौर पर प्रोपलीन ग्लाइकोल होता है, और स्वाद को बढ़ाता है.
जब यूजर माउथपीस को चूसता है, तो हीटिंग तत्व लिक्विड को वेपर में बदल देता है. जिसे व्यक्ति वेपिंह करता है या सांस के जरिए छोड़ता है. लिक्विड में निकोटीन काफी अधिक मात्रा में होती है.
सिर्फ निकोटीन ही नहीं ई-सिगरेट में होता है ये खतरनाक तत्व जिससे हो सकता है कैंसर
ई-सिगरेट में निकोटीन होता है. जो काफी ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि इसकी लत अच्छी बात नहीं है. अमेरिकन लंग एसोसिएशन ने अपने रिसर्च में पाया कि ई-सिगरेट में निकोटीन के अलावा भी कई सारे जहरीले पदार्थ होते हैं.
कार्सिनोजन- जैसे एसीटैल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है.
एक्रोलिन, एक खरपतवार नाशक जो फेफड़ों को अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचा सकता है.
बेंजीन, कार के निकास में एक यौगिक
डायएसिटाइल, ब्रोंकियोलाइटिस से जुड़ा एक केमिकल है जो पॉपकॉर्न लंग जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है.
प्रोपलीन ग्लाइकोल, एंटीफ़्रीज़ में उपयोग किया जाता है.
सीसा और कैडमियम जैसी खतरनाक चीजें
सूक्ष्म कण जो फेफड़ों में एंट्री लेते ही कई गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है.
कौन सी बीमारी होने का खतरा?
कैंसर, हार्ट, फेफड़ों के साथ-साथ ब्रेन से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है. अगर आपको भी ई-सिगरेट पीने की है लत तो आज ही छोड़ दें.