वॉशिंगटन: जिन किशोरों का स्कूल सुबह साढ़े आठ बजे से पहले शुरू होता है उनमें डिप्रेशन और एंजाइटी का जोखिम बहुत ज्यादा होता है. यह जोखिम तब भी बना रहता है जब वे रात में अच्छी नींद लेने के लिए सब कुछ कर रहे हों.


क्यों की गई रिसर्च-
यह शोध नींद और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध तो सामने लाया ही है, इसके माध्यम से यह भी पहली बार पता चला है कि स्कूल शुरू होने के वक्त का किशोरों की नींद और रोजमर्रा के कामकाज पर भी गंभीर असर पड़ सकता है.


यह शोध जर्नल स्लीप हेल्थ में प्रकाशित हुआ है. इसके आधार पर किशोरों के स्वास्थ्य और स्कूल शुरू होने के समय पर राष्ट्रीय बहस शुरू की जा सकती है.


क्या कहते हैं शोधकर्ता-
अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ रोसेस्टर में सहायक प्रोफेसर जेक प्लेट्ज ने बताया कि यह इस तरह का पहला शोध है जिसमें देखा गया है कि स्कूल शुरू होने का वक्त नींद की गुणवत्ता को किस तरह प्रभावित करता है.


उन्होंने कहा कि वैसे तो कई अन्य चीजों पर भी ध्यान देने की जरूरत है लेकिन हमारे शोध में सामने आए निष्कर्ष बताते हैं कि स्कूल का समय बहुत जल्द होने से नींद की प्रक्रिया प्रभावित होती है और इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी लक्षण बढ़ जाते हैं. जबकि स्कूल शुरू होने का समय देर से होना किशोरों के लिए अच्छा है.


अच्छी सेहत और कामकाज के लिए आठ से दस घंटे की नींद की जरूरत होती है लेकिन हाई-स्कूल के लगभग 90 फीसदी किशोरों की नींद पूरी नहीं होती.


कैसे की गई रिसर्च-
शोधकर्ताओं ने देशभर के 14 से 17 वर्ष आयुवर्ग के 197 छात्रों का डाटा ऑनलाइन तरीके से जुटाया था. इन्हें दो समूहों में बांटा गया था. पहले वे जिनका स्कूल सुबह साढे़ आठ बजे से पहले शुरू होता है और दूसरे वे जिनका स्कूल साढ़े आठ के बाद शुरू होता है.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.