फैटी लिवर की बीमारी जब अपने शुरुआती दौर में होती है तो किसी का ध्यान इसकी तरफ नहीं जाता है. कई लोगों के शरीर पर इसके लक्षण साफ दिखाई देते हैं. और कुछ पर बिल्कुल भी नहीं दिखते हैं. अगर वक्त रहते इसका पता चल जाए तो इस बीमारी को वक्त रहते कंट्रोल किया जा सकता है. फैटी लिवर को हेपेटिक स्टेटोसिस के नाम से भी जाना जाता है. यह तब होता है जब लिवर में फैट जमा होने लगती है. आपके लिवर में थोड़ी मात्रा में फैट होना सामान्य है, लेकिन बहुत अधिक फैट होना स्वास्थ्य समस्या बन सकती है.
आपका लिवर आपके शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग होता है. यह खाना और पेय पदार्थों से पोषक तत्वों को संसाधित करने में मदद करता है और आपके ब्लड से गंदगी पदार्थों को फ़िल्टर करता है. आपके लिवर में बहुत अधिक फैट लिवर में सूजन पैदा कर सकती है. जो आपके लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है और निशान बना सकती है. गंभीर मामलों में यह निशान लिवर फेल का कारण बन सकता है.
ज्यादातर फैटी लिवर की समस्या ऐसे लोगों को होती है जो बहुत अधिक शराब पीते हैं. इसे अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (AFLD) के रूप में जाना जाता है. जो व्यक्ति बहुत अधिक शराब नहीं पीता है, उसे नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (NAFLD) के रूप में जाना जाता है. साल 2017 में NAFLD संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में हुए रिसर्च के मुताबिक 25% से 30% लोगों को प्रभावित करता है.
लिवर में दो मुख्य भाग या लोब होते हैं. प्रत्येक लोब को आठ खंडों में विभाजित किया जाता है. प्रत्येक खंड में अनुमानित 1,000 लोब्यूल या छोटे लोब होते हैं. इनमें से प्रत्येक लोब्यूल में एक छोटी ट्यूब (डक्ट) होती है जो सामान्य यकृत वाहिनी की ओर बहती है.
शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में, लिवर में काफी मात्रा में ब्लड सर्कुलेशन होता है. अनुमानित 13 प्रतिशत शरीर का रक्त जो लगभग एक पिंट होता है, किसी भी समय लिवर होता है.
लिवर सिरोसिस के लक्षण
उल्टी
भूख न लगना
बहुत थकान
पीलिया होना
वजन कम होना
खुजली
पेट में तरल पदार्थ का जमा होना
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पेशाब का रंग गहरा होना
बालों का झड़ना
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.