Eat Cheese And Sleep: हर किसी के मन में कभी न कभी ये ख्याल आता है कि "काश! कोई ऐसी जॉब होती, जिसमें कुछ ना करना पड़ता और फिर भी सैलरी मिलती". नौकरी की भागा-दौड़ी और चिकचिक-झिकझिक से कई बार मन खिन्न हो जाता है. अगर आप भी ऐसी किसी आरामदायक नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो हम यहां आपको कुछ इंटरेस्टिंग बताने जा रहे हैं. दरअसल, एक जॉब कंपनी चीज़ (Cheese) खाने और पूरी रात सोने के लिए $1000 (81,515 भारतीय रुपये) देने की पेशकश कर रही है. मतलब आपको सिर्फ चीज़ खाना और सोना है. 


खाना और सोना ज्यादातर लोगों का पसंदीदा काम होता है और अगर इस काम के लिए पैसे मिलने लग जाएं तो भई! फिर क्या ही बात हो. एक यूरोपीय थ्योरी है जो ये दावा करती है कि सोने से पहले चीज़ खाने से आपको बुरे सपने आ सकते हैं. एक मैट्रेस रिव्यू कंपनी ने इसी यूरोपीय थ्योरी का ट्रायल करने के लिए कुछ लोगों को एक बेहतरीन मौका दिया. कंपनी लोगों के नींद के पैटर्न को लेकर स्टडी करने के लिए और उसे बेहतर तरीके से समझने के लिए लोगों को आमंत्रित कर रही है. 


कंपनी ने कहा कि "डेयरी सपने देखने वाले हमारे ऑफिशियल चीज़ टेस्टर्स" बन जाएंगे. दरअसल इस ट्रायल में शामिल होने वाले लोगों को पहले तरह-तरह के चीज़ खाने को कहा जाएगा. फिर उन्हें सोने को बोला जाएगा. जब वे उठेंगे तो उनसे पूछा जाएगा कि चीज़ खाने के बाद उनकी नींद पर क्या प्रभाव पड़ा. स्लीप जंकी स्टडी 5 लोगों की तलाश कर रहा है, जिन्हें तीन महीने तक सोने से पहले हर दिन चीज़ खाना होगा. ट्रायल में शामिल होने वाले लोगों को चीज़ खाने के बाद अपनी नींद से जुड़ी तमाम परेशानियों को उजागर करना होगा, जैसे- नींद की क्वालिटी कैसी रही, सपने कैसे आए, पूरे दिन का एनर्जी लेवल कैसा रहा और क्या पनीर खाने से बुरे सपने आए या नहीं आदि. 


खाने के लिए दिया जाएगा अलग-अलग चीज़


हर हफ्ते प्रतिभागियों को अलग-अलग तरह का चीज़ खाने के लिए दिया जाएगा. इनमें ब्लू चीज़, हार्ड चीज़, सॉफ्ट चीज़ और प्रोसेस्ड चीज़ शामिल है. शाकाहारी और लैक्टोज फ्री चीज़ के ऑप्शन भी होंगे. हर प्रतिभागी को हर रात सोने से पहले अलग-अलग चीज़ को खाना होगा, वो भी एक हफ्ते तक. यह प्रक्रिया तीन महीने तक जारी रहेगी. चीज़ ट्रायल के बीच एक हफ्ते का ब्रेक दिया जाएगा, ताकि परिणाम सटीक रूप से दर्ज किए जा सकें.


कंपनी को चाहिए ऐसे लोग


कंपनी को ट्रायल के लिए ऐसे लोग चाहिए जिनकी उम्र कम से कम 21 साल हो. उनमें स्मार्टवॉच या फिटनेस ट्रैकर के बारे में अच्छी समझ हो, ताकि वो नींद को ट्रैक कर सके. इसके अलावा, जो लोग अकेले सोने में सक्षम हों, उन्हें ही इस ट्रायल का हिस्सा बनाया जाएगा. व्यक्ति को सोने से संबंधित कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और तो और डेयरी या लैक्टोज से उन्हें किसी तरह की एलर्जी भी नहीं होनी चाहिए. 


ये भी पढ़ें: अटेंशन प्लीज! 31 जनवरी से खुल रहा 'अमृत उद्यान', जान लें कैसे मिलेगी एंट्री और क्या कुछ रहेगा खास?