लंदन: अगर आपको चॉकलेट पसंद है तो आपके लिए खुशखबरी है, हाल ही में हुई रिसर्च में साफ हो गया है कि रोजाना चॉकेलट खाने से ब्रेन को काफी फायदा मिलता है. ये रिसर्च इटली के L’Aquila यूनिवर्सिटी ने की है. शोधकर्ताओं का मानना है कि कोको दिमाग के लिए काफी फायदेमंद होता है. कोको में फ्लावानोल (प्राकृतिक रसायन) पाया जाता है जो ब्रेन के लिए काफी लाभदायक होता है.

लेकिन आपको बता दें चॉकलेट का ज्यादा इस्तेमाल आपके लिए कई और बीमारियों को दावत दे सकता है. इसलिए चॉकलेट का सेवन शुरू करने से पहले आप अपनी मौजूदा हेल्थ का ध्यान में जरूर रखें.

चॉकलेट को लेकर पहले आई थी ये रिसर्च-
चॉकलेट लगभग हर उम्र के व्यक्ति को भाती है. कुछ लोग मानते हैं कि चॉकलेट खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं हैं. लेकिन रिसर्च कुछ और ही कहती हैं. रिसर्च के मुताबिक, रोजाना चॉकलेट खाने से आपकी सेहत अच्छी हो सकती है.

जी हां, हाल ही में आई एक रिसर्च भी कुछ इसी ओर इशारा करती है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, चॉकलेट गुड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है लेकिन ये फायदा उन्हीं लोगों को होगा जो रोजाना 200 से 600 मिलीग्राम के बीच डार्क चॉकलेट खाते हैं.

शोधकर्ताओं ने पाया कि चॉकलेट खाने से ना सिर्फ हार्ट डिजीज से बच सकते हैं बल्कि डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर और इंसुलिन लेवल भी कम किया जा सकता है.

दरअसल, ये फायदा भी इस पर निर्भर करता है कि कोकोआ कितनी मात्रा में लिया गया है. प्लेन चॉकलेट, व्हाइट और अन्य मिल्क चॉकलेट से ज्यादा बेहतर होती है. वैज्ञानिकों ने 1139 लोगों को चॉकलेट के 119 फ्लेवर खिलाकर उनकी कार्डियो मेटाबॉलिक हेल्थ की जांच की. लेखक जिन्होंने रैंडमाइज कंट्रोल्ड ट्रायल्स (RCTs) करवाएं का दावा है कि इस तरह के कुछ और अर्जेंट ट्रायल्स करवाने चाहिए जिससे ये जाना जा सके कि चॉकलेट खाने के शॉर्ट-टर्म बेनिफिट्स क्या हैं.

क्या कहती है डॉ. सिमिन लुई की रिसर्च-
यूएसए की ब्राउन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ग्लोबल कार्डियोमेटाबॉलिक हेल्थ की डायरेक्टर और प्रोफेसर डॉ. सिमिन लुई का कहना है हमारी कोई भी रिसर्च इस तरह से डिजाइन नहीं कि गई कि जिसमें देखा जाए कोकोआ को यदि सीधेतौर पर लिया जाए तो ये हार्ट अटैक और टाइप 2 डायबिटीज को कम करने में कारगर है या नहीं.

ग्रेजुएट स्टूमडेंट जियोचिन लिन जो कि डॉ. सिमिन लुई के साथ ही काम कर रहे हैं का कहना है कि हमने ये पाया है कि कोकोआ फ्लेवैनोल के सेवन से डिस्लिपडेमिया (फर्ड आट्रीज), इंसुलिन रेसिस्टेंस और सिस्टमैटिक इनफ्लैमेशन को कम किया जा सकता है जो कि कार्डियोमेटाबॉलिक डिजीज के फैक्टर हैं.

ये स्टडी जनरल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुई जो कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन, नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट एंड मार्स द्वारा फंडेड है.

डॉ. सिमिन लुई का कहना है कि इस रिसर्च को हर चॉकलेट के लिए जनरलाइज नहीं किया जा सकता क्योंकि बहुत सी कैंडी चॉकलेट्स में शुगर कॉन्टेंट बहुत ज्यादा होता है जो कि डार्क चॉकलेट से भी ज्यादा होता है.

नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.