भोजन में मछली खाने से अस्थमा से लड़ने में मिलेगी मदद: अध्ययन
'ह्यूमन न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि पौष्टिक भोजन बचपन में होने वाले अस्थमा के लिये संभावित कारगर थैरेपी हो सकता है.
मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया में एक रिसर्च में कहा गया है कि सैमन, ट्राउट और सार्डाइन जैसी मछलियों को पौष्टिक आहार में शामिल करने से बच्चों में अस्थमा के लक्षण में कमी आ सकती है. ऑस्ट्रेलिया में ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किये गये क्लीनिकल ट्रायल में यह पता चला कि अस्थमा से ग्रसित बच्चों के भोजन में जब छह महीने तक वसा युक्त (फैटी एसिड वाला) मछलियों से भरपूर पौष्टिक समुद्री भोजन को शामिल किया गया, तब उनके फेफड़े की कार्यप्रणाली में सुधार देखा गया.
यह अध्ययन 'ह्यूमन न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स' में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन में कहा गया कि यह देखा गया है कि पौष्टिक भोजन बचपन में होने वाले अस्थमा के लिये संभावित कारगर थैरेपी हो सकता है.
ला ट्रोब के प्रमुख अनुसंधानकर्ता मारिया पैपमिशेल ने कहा, "हम पहले से ही यह जानते हैं कि वसा, चीनी, नमक बच्चों में अस्थमा के बढ़ने को प्रभावित करता है और अब हमारे पास यह साक्ष्य है कि पौष्टिक भोजन से अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करना संभव है."
पैपमिशेल ने कहा, "वसा युक्त मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं जिनमें रोग को रोकने में सक्षम गुण होते हैं. हमारे अध्ययन में यह पता चला कि सप्ताह में महज दो बार मछली खाने से अस्थमा से पीड़ित बच्चों के फेफड़े की सूजन अत्यंत कम हो सकती है."
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