प्रेग्नेंसी में मछली खाने से बच्चों में होने वाले अस्थमा को रोकना है आसान
गर्भावस्था के दौरान जो महिलाएं मछली का सेवन करती हैं, उनके बच्चे अस्थमा से मुक्त रह सकते हैं.
न्यूयॉर्क: गर्भावस्था के दौरान जो महिलाएं मछली का सेवन करती हैं, उनके बच्चे अस्थमा से मुक्त रह सकते हैं. एक नए अध्ययन के अनुसार, यह ठीक उसी प्रकार काम करता है, जिस तरह मछली के तेल की पूरक खुराक करती है.
क्या कहती है रिसर्च- गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में ओमेगा-3 वसा अम्ल की उच्च खुराक लेने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चों को अपने प्रारंभिक दिनों में विकसित होने वाली सांस की समस्याओं से सुरक्षा मिलती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के प्राध्यापक रिचर्ड लॉकी ने कहा, "एक सप्ताह में एक बार थोड़ी अधिक कीमत चुकाकर कम पारे के स्तर वाली मछली का उपभोग न केवल अस्थमा से रक्षा करता है, बल्कि शिशु के विकास और विकास के पोषण संबंधी लाभों को भी मजबूत करता है."
कैसे की गई रिसर्च- तीन समूहों में शोध किया गया. पहले समूह को मछली के तेल वाले ओमेगा-3 वसा अम्ल का सेवन कराया गया, जबकि दूसरे समूह ने प्लेसबो का इस्तेमाल किया था. तीसरा समूह 'नो ऑयल' समूह था, जिसे उनकी पसंद के अनुसार मछली या मछली के तेल की पूरक खुराक दी गई थी.
रिसर्च के नतीजे- शोधकर्ताओं ने पाया कि मछली के तेल और 'नो ऑयल' समूहों के बच्चों को 24 वर्ष की आयु पर पहुंचने के दौरान अस्थमा संबंधी चिकित्सा का कम सामना करना पड़ा, और इन दोनों समूहों में अस्थमा का कम विकास देखा गया.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
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