सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल काफी तेजी वायरल हो रहा है. जिसमें इस बात को उजागर किया गया है कि सावन के महीने में सूरज की किरणों का पाचन पर सीधा असर पड़ता है.  भगवान शिव को समर्पित सावन पूरे भारत में बहुत जोश और समर्पण के साथ मनाया जाता है. हिंदू धर्म के कई अनुयायी इस महीने में नॉन वेजिटेरियन खाना और शराब नहीं पीते हैं.


श्रद्धा खत्री नाम के यूजर अकाउंट से इस वीडियो को शेयर किया गया है. इसमें वह बता रही हैं कि सावन में नॉन वेज या शराब इसलिए नहीं पीना चाहिए. क्योंकि इसका लिवर पर बुरा असर क्योंकि इस मौसम में सूरज कम निकलता है. और इसका पाचन पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए इस मौसम हैवी खाना खाने से बचना चाहिए. 


सावन में निकलने वाले धूप का पाचन पर होता है असर?


इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए वीडियो में श्रद्धा कृष्ण कुमार अत्री नाम की यूजर ने इस प्रथा के पीछे के तर्क को समझाया और कहा कि इस दौरान सूर्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इंसान की आदतों में बदलाव किया जाना चाहिए. सावन के महीने में नॉन वेजिटेरियन जंक फूड और शराब से परहेज करना चाहिए.



सूरज की रोशनी, जो हमारी पाचन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. बरसात का मौसम पाचन पर गंभीर डाल सकता है. यह नमी वाला मौसम आपके पाचन तंत्र को धीमा कर सकता है. जिससे पेट फूल सकता है या अपच हो सकता है. यही कारण है कि इस मौसम में वेजिटेरियन खाना खाने की सलाह देते हैं. इस दौरान खाना खाने और खुद को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है. 


सावन के महीने में शराब और नॉन वेज छोड़ने के पीछे कई तरह के धार्मिक तर्क देते हैं. लेकिन आज हम साइंस इसके पीछे क्या लॉजिक देती है. हम उसके बारे में बात करेंगे. साइंस के मुताबिक इस महीने ज्यादा तामसिक खाना नहीं खाना चाहिए. जैसे शराब, नॉनवेज, तेल, मसाले . इस महीने को जानवरों के प्रजनन के महीने से भी जोड़कर देखा जाता है. 


सावन में नॉनवेज और दूध के पीने के लिए क्यों किया जाता है मना? 


सावन का महीना होता है ब्रीडिंग सीजन 


सावन के महीने को ब्रीडिंग सीजन भी कहा जाता है. इस महीने में ज्यादातर जीव ब्रीडिंग करते हैं. ऐसे में कहा जाता है कि अगर कोई जीव प्रेग्नेंट होगा और अगर हम उसे खा लेते हैं तो वह हमारे शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है. इस बात के पीछे कई लॉजिक है. साइंस के मुताबिक अगर हम प्रेग्नेंट जीव का मांस खाते हैं तो हमारे शरीर का हार्मोन्स में डिस्टरबेंस हो सकते हैं. जिसकी वजह से फ्यूचर में हमें कई बीमारी होने के चांसेस बढ़ जाएंगे. 


पाचन शक्ति हो जाता है कमजोर


सावन महीने में बारिश खूब होती है. ऐसे में सूरज निकलता ही नहीं है. ऐसे में इंसान के शरीर का मेटाबॉलिज्म यानी पाचन शक्ति कमजोर होने लगता है. नॉनवेज खाना जोकि तामसी खाना होता है जोकि इंसान


/*के पाचन में दिक्कत कर सकती है. साथ ही इसी मौसम में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती है. इसी मौसम में कई स्किन से जुड़े इंफेक्शन बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.


इंफेक्शन का खतरा


सावन के महीने में लगातार बारिश होने के कारण स्किन इंफेक्शन  तेजी से फैलती हैं. इस मौसम में जीवों को इंफेक्शन बहुत तेजी से होता है. ऐसे में माना जाता है कि स्किन इंफेक्शन जीवों को अपना शिकार बनाती है और फिर उसे जीव को खाने से इंसान को स्किन इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है . इसलिए खाने की सलाह दी जाती है. 


Facts Check: क्या सच में बरसात में नॉन वेज नहीं खाना चाहिए?


बरसात के मौसम में पाचन तंत्र धीमा हो सकता है. यह सिर्फ बरसात की बात नहीं है बल्कि यह कभी भी मौसम बदलने के दौरान हो सकता है. पेट फूलने के साथ-साथ अपच की समस्या हो सकती है. इस मौसम में आप जितना हल्का खाना खाएंगे और ज्यादा पानी पिएंगे उससे आपका शरीर हाड्रेटेड रहता है. क्योंकि कभी बारिश कभी धूप का सिलसिला चलता रहता है. ऐसा कुछ नहीं है कि आप इस मौसम में नॉनवेज खाने से आपको पाचन से जुड़ी दिक्कत हो सकती है. या इस मौसम में सूर्य का सीधा असर पाचन पर पड़ता है. साथ ही साथ इन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए की मौसम में बदलाव आने के कारण आपको अपने खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए. यह सिर्फ सावन ही नहीं बल्कि किसी भी मौसम में हो सकता है.


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