एग फ्रीजिंग की अवधारणा भारत में धीरे-धीरे बढ़ रही है. कई सेलिब्रिटीज के बाद बहुत सारी महिलाएं अब 20 या 30 वर्ष की उम्र में अपने अंडों को फ्रीज करने का विकल्प चुन रही हैं. महिलाएं पूरी प्रक्रिया के बारे में ज्यादा जानना चाहती हैं जिससे भविष्य में गर्भधारण में मदद मिल सके.
एग प्रीजिंग का विकल्प क्यों चुना जा रहा है?
नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी हैदराबाद की डॉक्टर सरोजा कोपल्ला के मुताबिक, बहुत सारी महिलाओं आज एग फ्रीजिंग के विकल्प तलाश रही हैं और उसके पीछे विभिन्न कारण हैं. महिलाएं सीमित अंडों के साथ पैदा होती हैं, जो उनकी उम्र के साथ समाप्त हो जाता है, जिससे बांझपन की संभावना बढ़ती है. महिला की ओवरी 20-35 साल की प्रजनन की उम्र में गुणवत्तापूर्ण अंडों को पैदा कर सकती है.
35 साल के बाद अंडों की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा में कमी आने लगती है. इसलिए, अगर पहले से कोई मेडिकल की स्थिति है जिससे महिला प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकती है या प्रत्यक्ष रूप से उसके अंडों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है या कैरियर के दबाव या जिंदगी के लक्ष्य के कारण अगर गर्भधारण का मंसूबा बनाने में सक्षम नहीं है, तब एग फ्रीजिंग इस स्थिति में सबसे व्यावहारिक विकल्प हो सकता है.
एग फ्रीजिंग या औसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन, महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भविष्य में संग्रहीत करने का एक तरीका है. इस प्रक्रिया में महिला के परिपक्व और उर्वरक होने योग्य अंडों को ओवरी से निकाल कर फ्रीज किया जाता है. एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया महिलाओं के स्वस्थ अंडों को संरक्षित करती है. ये प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से मुश्किल गर्भधारण के समय इस्तेमाल की जाती है.
एग फ्रीजिंग क्या सुरक्षित है?
कई रिसर्च और शोध में एग फ्रीजिंग प्रक्रिया का असरदार और सुरक्षित होना साबित है. इस प्रक्रिया को अपनानेवाली महिला और उसके फ्रोजेन एग से पैदा बच्चा दोनों पूरी तरह सुरक्षित होते हैं. शुरुआत में एग फ्रीजिंग कैंसर ग्रस्त महिलाओं के लिए स्थापित किया गया था क्योंकि कैंसर के कुछ इलाज में महिलाओं को प्रजनन का खतरा शामिल था. हालांकि, इस प्रक्रिया से अंडों को किसी भी आक्रामक चिकित्सा उपचार से पहले सुरक्षित या संग्रहीत किया जा सकता है. ये खास तौर से कैंसर से ग्रस्त महिलाओं के बारे में सोचा जाता है.
वर्तमान में जिन महिलाओं के अलग लक्ष्य हैं या मां बनने की बहुत जल्दी इच्छा नहीं हैं, उनके लिए भी एग फ्रीजिंग एक अच्छा विकल्प है. ये महिलाओं के लिए वरदान है क्योंकि इस प्रक्रिया से उन्हें अपने स्वास्थ्य या जिंदगी के उद्देश्य से समझौता किए बिना परिवार शुरू करने का मौका मिलता है. इससे आगे चलकर बांझपन से जुड़ी चिंता भी उनमें कम होती है क्योंकि एक उम्र के बाद उन्हें एहसास होने लगता है कि उसकी प्रजनन शक्ति कम हो रही है.
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