Heart Attack: हार्ट अटैक आजकल एक आम समस्या हो गई है. अब पहले वाली बात नहीं रही कि दिल के मरीज या बुजुर्ग आदमी को ही हार्ट अटैक आता है. आजकल जिम, स्कूल, ट्रेन खेलते-कुदते हुए व्यक्ति को भी हार्ट अटैक हो सकता है. सबसे परेशान कर देने वाली बात यह है कि यह किसी भी उम्र के लोग यानी बूढ़े, बच्चे किसी को भी हो सकता है. आजकल जिस तरीके से किसी को भी हार्ट अटैक हो रहा है. वह देखते हुए कई लोगों के दिमाग में एक सवाल जरूर उठ रही होगी कि अगर अकेले में हार्ट अटैक आ जाए तो क्या करना चाहिए? चो चलिए आपको बताते हैं अगर किसी भी व्यक्ति को अकेले में हार्ट अटैक आ जाए तो वह खुद की जान बचाने के लिए क्या करना चाहिए?


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हार्ट अटैक के मामले में हर दिन इजाफा हो रहा है. खासकर युवाओं और 40 की उम्र वाले लोगों में यह काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है. ऐसे में सबसे जरूरी यह है कि आप इससे कैसे बच सकते हैं? आज  हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स देने जा रहे हैं जो आपकी किसी भी वक्त में काम आ सकती है. 


 हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचानना है जरूरी


आपके शरीर में कहीं भी दर्द या बैचनी महसूस हो रही है. तो आपको डॉक्टर से एक बार मिलना चाहिए. अगर आपको सीने में भारीपन, जकड़न, जलन, दर्द जैसी समस्या है तो यह आपके हार्ट अटैक का कारण बन सकता है. मतली आ रही है और दिल की धड़कन बढ़ी हुई है तो आपको वक्त रहते अपना इलाज करवाना चाहिए. 


 एंबुलेंस या किसी करीबी को फोन करके बुला लें


आप अकेले रहते हैं और आपको शरीर में किसी भी तरह कि दिक्कत महसूस हो रही है तो एंबुलेंस या किसी दोस्त, करीबी को बुला लें. साथ ही उनके साथ जल्दी से जल्दी डॉक्टर के पास जाएं.


जीभ के नीचे Aspirin टेबलेट दबाएं


जीभ के नीचे सॉर्बिट्रेट एस्पिरिन टैबलेट (aspirin tablet 300 mg) या क्लोपिडोग्रेल (Clopidogrel 300 mg) या फिर  एटोरवास्टेटिन (Atorvastatin 80 mg) टेबलेट आराम से दबाए रखें.  अगर इन चीजों को हार्ट अटैक आने के 30 मिनट के अंदर किया जाए तो इसका तुरंत फायदा मिलेगा.  एस्पिरिन ब्लड क्लॉट होने से रोकता है. साथ ही  यह आर्टरी में ब्लॉकेज को होने से रोकता है. 


लेट जाए और पैरों के नीचे तकिया रखें


हार्ट अटैक के दौरान ज्यादा पैनिक होने से स्थिति खराब हो सकती है. ब्लड प्रेशर वाले मरीज को इस दौरान पसीना और चक्कर आने की शिकायत होती है. ऐसे में जब भी बीपी लो हो तो एस्पिरिन खाने से बचें. क्योंकि इससे बीपी कम हो सकती है. इसलिए ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा है मरीज आराम से लेटकर पैरों के नीच तकिया दबा ले. सबसे जरूरी बात इस दौरान धीमी सांस लें. खुली खिड़की. पंखा, या एसी के सामने लेटे रहें. इससे दिल को सही मात्रा में ऑक्सिजन मिलती रहती है. 


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