Empty Nest Syndrome Symptoms: मनोचिकित्सक हो या जनरल फिजिशियन, अकेले रहने के लिए सभी मना करते हैं. कई अध्ययन में भी सामने आया है कि सभी के साथ रहने वालों के सापेक्ष अकेले रहने वाले लोग अधिक डिप्रेशन, एंग्जाइटी और मानसिक बीमारियां के शिकार होते हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि जो अकेला रह रहा हो, उसका ध्यान बंटाया जाए. वहीं, बहुत सारे परिवारों में ऐसा होता है कि बेटा बाहर रहता है. बिटिया की शादी होने के बाद चली गई. बहू भी बेटे के साथ चली जाती है. ऐसे में घर में माता-पिता अकेले रह जाते हैं. उन्हें एक अजीब तरह का सिंड्रोम अपना शिकार बनाने लगता है. आइए इस सिंड्रोम के बारे में जानते हैं. 


क्या होता है एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम?


अकेलेपन का शिकार केवल यूथ ही नहीं होता है. जो बेटा, बेटी अपने माता-पिता को घर पर अकेला छोड़ देते हैं. उनके माता, पिता भी एक अलग तरह के सिंड्रोम का शिकार हो जाते हैं. इस एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है. यह वृद्धावस्था में होने वाल रोग है. इसके लक्षण और बचाव के बारे में जरूरी है. 


पहले इसके लक्षण जानिए


जो बुजुर्ग एंप्टी नेस्ट सिंड्रोम से पीड़ित हो जाते हैं. उनके चेहरे पर हर समय तनाव दिखता है. नींद नहीं आती है. कभी भी गुस्सा आ जाता है. खुद को नुकसान भी पहुंचा सकता है. सीने में भारीपन रहता है. कई बार लक्षण हार्ट अटैक जैसे दिखते हैं. 


किस तरह करें बचाव


जो माता, पिता या बुजुर्ग घर में अकेले रहते हैं. उन्हेें इन लक्षणों पर गौर करना चाहिए. यदि इससे मिलते जुलते लक्षण दिख रहे हैं तो फिर कुछ टिप्स अपनानी चाहिए. बचाव के लिए रिश्तेदारों से संपर्क रह सकते हैं. उनके बच्चों के साथ घुल मिल सकते हैं. यदि बेटा, बेटी बाहर रहे हैं तो कोशिश करें कि दिन में एक या दो बार उनसे फोन पर जरूर बात करें. उनसे अपनी हर परेशानी साझा करने की कोशिश करें. वीडिया कॉल करना बेहतर ऑप्शन होता है. घर के छोटे मोटे कामों में व्यस्त रह सकते हैं. यदि हमेशा निगेटिव ख्याल आते हैं तो मनोचिकित्सक को दिखाएं. 


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