नई दिल्लीः इरेक्टाइल डिस्फंक्शन ऐसी समस्या है जिसमें पुरुषों को उत्तेजना संबंधी दिक्‍क्तों का सामना करना पड़ता है. अगर आप इस समय इस समस्या से ग्रस्त हैं या फिर इस स्थिति से बचना चाहते हैं तो हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जो इस समस्यां से दिलाएंगे निजात.


इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कारण-
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कई कारण हो सकते हैं. कभी-कभार तो किसी दवा के दुष्प्रभाव से भी ऐसा हो सकता है. इसके अलावा कई तरह की बीमारियों जैसे वस्क्यूलर, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों, डायबिटीज या प्रोस्टेट संबंधी उपचार या सर्जरी से यह समस्या पैदा हो सकती है. तकरीबन 75 प्रतिशत पुरुषों में यह जटिल कारणों से होता है.


क्या कहती है रिसर्च-
एक रिसर्च के अनुसार, 40 से 70 साल के आयु वर्ग में करीब 60 प्रतिशत पुरुषों में कुछ हद तक यह समस्या पाई जाती है.


इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय-
नियमित रूप से घूमना शुरू करें : हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक, रोजाना 30 मिनट की वॉक से इरेक्टाइल डिसफंक्शन का जोखिम 41 प्रतिशत कम हो जाता है. व्यायाम करने से भी मोटापे के शिकार मर्दो में यह समस्या कम हो जाती है.


सही आहार लें : मैसाच्युसेट्स मेल एजिंग स्टडी के अनुसार, फल, सब्जियों, अनाज और मछली जैसे पौष्टिक आहार और कुछ मात्रा में रेड मीट और रिफाइंड ग्रेंस से इस जोखिम को कम किया जा सकता है. विटामिन बी12 और विटामिन डी की भारी कमी से भी यह समस्या पैदा हो जाती है. रोजाना मल्टीविटामिन और फोर्टिफाइड फूड से प्रौढ़ों में भी यह समस्या दूर हो जाती है.


अपनी वस्क्यूलर हेल्थ पर भी ध्यान रखिये : हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, हाई कॉलेस्ट्रॉल और हाई ट्रिगलीसेराइड्स हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं और इससे स्रोरा क और ब्रेन हैमरेज भी हो सकता है. इसका नतीजा इरेक्टाइल डिसफंक्शन के रूप में भी सामने आता है. एचडीएल यानी अच्छे कॉलेस्ट्रॉल की कमी और मोटापा बढ़ना भी इसके कारण हैं. अपने डॉक्टर से मिलें और जानें कि कहीं कोई वस्क्यूलर प्रणाली तो प्रभावित नहीं है ताकि आपका दिल, दिमाग ठीक रहे और सेक्स स्वास्थ्य बना रहे.


अपने आकार पर ध्यान रखें : दुबला-पतला रहने का प्रयास करें. कमर की मोटाई अगर 40 इंच तक पहुंच जाए तो ऐसे पुरुषों में 32 इंच कमर वाले मर्दो के मुकाबले इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है. लिहाजा वजन नियंत्रण में रखें. मोटापे से वस्क्यूलर विकार और डायबिटीज का जोखिम बढ़ता है और ये इरेक्टाइल डिस्‍फंक्शन के प्रमुख कारण हैं. एक्ट्रार फैट पुरुषों के हार्मोस को प्रभावित करते हैं और यह भी समस्या की जड़ हो सकता है.


मांसपेशियों का व्यायाम करिए : मतलब डोले बढ़ाने से नहीं है. कूल्हे मजबूत रहेंगे तो उत्तेाजित ना होने की समस्या भी कम होगी और रक्त प्रवाह उसी ओर बना रहता है. एक ब्रिटिश टेस्ट के दौरान तीन महीने की रोजाना कमर और कुल्हों की एक्सरसाइज के साथ बायोफीडबैक और जीवनशैली में परिवर्तनों जैसे धूम्रपान छोड़ना, वजन कम रखना, शराब का सेवन सीमित करना आदि से बहुत अच्छे नतीजे मिलते हैं.


ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.