Childhood Issues: लो मूड और डिप्रेशन ऐसी समस्याएं हैं, जो बच्चों को भी होती हैं. आमतौर पर बच्चों के बारे में यह सोच लिया जाता है कि इन छोटे बच्चों कि किस बात की चिंता, जो इन्हें डिप्रेशन होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. क्योंकि डिप्रेशन का कारण केवल करियर और गृहस्थी का तनाव ही नहीं होता. बल्कि इमोशन सिक्योरिटी फील ना होना, पैरेंट्स से सही अटेंशन ना मिलना या शोषण संबंधी कई दूसरे कारण भी होते हैं, जो बच्चों में डिप्रेशन की वजह बन जाते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 'डिप्रेशन इन चिल्ड्रन ऐंड अडोल्सेंट्स: ए रिव्यू ऑफ इंडियन स्टडीज' की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर 7 में से एक भारतीय बच्चा मोटिवेशन की कमी, लो मूड और डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों से जूझ रहा होता है. इससे भी बुरी बात ये है कि करीब 97 प्रतिशत मामलों में पैरेंट्स इस बात पर ध्यान ही नहीं पाते, जिसका बच्चे की पर्सनैलिटी, व्यवहार और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.
छोटे बच्चों से लेकर टीनेजर तक
- हमारे देश की पूरी आबादी में करीब 6 प्रतिशत बच्चे हैं. इनमें 13 से 15 साल की उम्र में हर 4 में से एक बच्चा डिप्रेसिव मूड्स से गुजर रहा होता है. यह वो उम्र है, जब बच्चा दुनिया, रिश्ते, समाज, अपना-पराया, सही-गलत जैसी चीजें बड़े स्तर पर सीख रहा होता है. ऐसे में यदि डिप्रेशन के कारण उसे सही राह ना मिले तो वह भटक सकता है.
बच्चों में क्यों होता है डिप्रेशन?
- डिप्रेशन की वजह आंतरिक भी होती हैं और बाहरी भी. कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भी शरीर में ऐसे हॉर्मोनल इंबैलेंस कर देती हैं कि व्यक्ति पहले एंग्जाइटी और फिर डिप्रेशन की चपेट में आ जाते हैं.
- आंतरिक कारणों में डिप्रेशन की एक वजह कॉन्शियस और अनकॉन्शियस थॉट्स पैटर्न भी होता है. जब लगातार नकारात्मक विचार आने रहते हैं तो बच्चों का कॉन्फिडेंस लेवल डाउन होने लगता है.
- जबकि बाहरी कारणों में सोशियो-इकनॉमिक, अनदेखा किया जाना, माता-पिता की अटेंशन ना मिलना, बुलीइंग, फिजिकल, मेंटल या इमोशल अब्यूज का शिकार होना.
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
- बहुत तेजी से वजन बढ़ना या तेजी से वजन घट जाना
- एनर्जी की कमी और हर समय थका हुआ दिखना
- नींद ना आना या बहुत अधिक नींद आना
- आत्मविश्वास की कमी और खुद को फालतू समझना
- कुछ अच्छा होने पर भी खुशी का अनुभव ना होना
- बात-बात पर गुस्सा आना, गुस्से में चीजें फेंकना
- मोटे-मोटे आंसुओं के साथ जोर से रोना
- परिवार और दोस्तों से दूर रहना
- खुद को चोट पहुंचाना या दूसरों को चोट देना
- आत्महत्या के विचार मन में आना या इस बारे में बात करना
बच्चे को डिप्रेशन से कैसे बचाएं
- बच्चे के साथ प्यार से पेश आएं
- बच्चे को अहसास कराएं कि हर स्थिति में आप उसके साथ हैं
- बच्चे को फिजिकल ऐक्टिविटीज में इंवॉल्व करें
- बच्चे को समय दें, उसके साथ बात करें, खेल खेलें या साथ में वॉक पर लेकर जाएं
- बच्चे के टीचर्स से मिलें और पढ़ाई संबंधी फीडबैक लेते रहें
- किसी गलती पर बच्चे को सजा देने के बाद और सजा पूरी होने के बाद उसके साथ प्यार से पेश आएं
- किसी भी गलती के लिए बच्चे को बार-बार टोंट ना मारें या उसे बुरा ना फील कराएं
- जब बच्चा भावनात्मक रूप से कठिस स्थिति से गुजर रहा हो तो उसे हिम्मत बंधाएं और मोटिवेशनल कहानियां सुनाएं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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