Social Media And Kids: आज के जमाने में सोशल मीडिया (Social media)हर मोबाइल तक पहुंच चुका है. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना बुरा नहीं है लेकिन चिंता की बात ये है कि नए दौर में बच्चे(kids on Social media) हद से ज्यादा इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. हाल ही में आई  लैंसेट  की स्टडी में कहा गया है कि देश में हर तीसरा बच्चा सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम, फेसबुक या एक्स जैसे प्लेटफॉर्म का लती हो चुका है.  ऐसे में बच्चों के बचपन और शिक्षा पर तो बुरा असर पड़ रहा है, साथ ही उनका दिमाग भी इससे प्रभावित हो रहा है.


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क्या कहती है लैंसेट की स्टडी 


लैंसेट की स्टडी कहती है कि शहरी आबादी में दो में से एक माता पिता की शिकायत है कि उनके बच्चे सोशल मीडिया, ओटीटी और मोबाइल गेमिंग के आदी हो गए हैं. इससे उनके व्यवहार पर बुरा असर दिख रहा है और वो धीरे धीरे आक्रामक होते जा रहे हैं. सोशल मीडिया की लत के चलते बच्चे ना केवल हिंसक हो रहे हैं बल्कि उनमें धैर्य की भी कमी दिख रही है.


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सोशल मीडिया साफ तौर पर बच्चों की लाइफस्टाइल पर बुरा असर डाल रहा है और उनका विकास और बचपन इससे प्रभावित हो रहा है. लैंसेट ने लोकल स्तर पर इस संबंध में सर्वे कराया है जिसमें शहरी आबादी के 47 फीसदी माता पिता ने कहा है कि उनके बच्चे हर दिन तीन घंटे से ज्यादा का वक्त सोशल मीडिया, ओटीटी, रील्स वीडियो आदि पर बिता रहे हैं.


पेरेंट्स की मांग सोशल मीडिया को लेकर बने सख्त कानून 


लैसेंट ने कहा कि सर्वे में 66 फीसदी मां बाप ने कहा कि देश में सोशल मीडिया और मोबाइल गेमिंग को लेकर 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कठोर कानून बनना चाहिए. उनका मानना है कि डेटा संरक्षण कानून के तहत छोटे बच्चों के मोबाइल को पेरेटिंग कंट्रोल में लाया जाए. इसके लिए सरकार को नियम बनाना चाहिए. दस फीसदी पेरेंट्स ने इस सर्वे में कहा कि उनके बच्चे छह घंटे से ज्यादा मोबाइल देखते हैं.  


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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