नई दिल्लीः केरल के मलप्पुरम जिले में हाल ही में सात वर्षीय एक लड़के की मौत वेस्ट नाइल फीवर से हो गई. वेस्ट नाइल वायरस (डब्ल्यूएनवी) ने लड़के के नर्व्स सिस्टम को प्रभावित किया, जिससे लड़के की हालत बिगड़ी और दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.


2011 से शुरू हुआ ये इंफेक्शन-
वेस्ट नाइल वायरस क्यूलेक्स मच्छर फैलाता है, जो गर्मियों में अधिक सक्रिय रहता है. भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपीआई) के ऱअनुसार, मई 2011 में केरल में तीव्र एंसेफलाइटिस सिंड्रोम के प्रकोप के दौरान, क्लीनिकल सैंपल्स में डब्ल्यूएनवी की उपस्थिति की पुष्टि की गई थी. तब से केरल में डब्ल्यूएनवी इंसेफेलाइटिस के मामले नियमित रूप से सामने आते रहे हैं.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
हेल्थ केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि गर्मियों में वेस्ट नाइल बुखार से मच्छर-जनित इंफेक्शंस का जोखिम बढ़ जाता है, इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए. डब्ल्यूएनवी पक्षियों और मच्छरों के बीच संचरण चक्र के जरिए प्रकृति में बना रहता है. इससे मनुष्य, घोड़े और अन्य स्तनधारी भी इंफेक्टिड हो सकते हैं.


कैसे फैलता है ये इंफेक्शन-
मनुष्य इंफेक्टिड मच्छरों के काटने से इस इंफेक्शन का शिकार होता है. वायरस अन्य इंफेक्टिड जानवरों, उनके ब्लड या अन्य टिश्यू के संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है. यह इंफेक्शन डेंगू या चिकनगुनिया जैसा हो सकता है.


वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण-
वेस्ट नाइल फीवर प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मितली, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते (सिर्फ कभी-कभी) और लिम्फ ग्रंथियों में सूजन शामिल है. जैसे ही स्थिति गंभीर हो जाती है, गर्दन की जकड़न, भटकाव, कोमा, कंपकंपी, मांसपेशियों में कमजोरी और पक्षाघात हो सकता है.


इंफेक्शन को इन उपायों से रोकें-




  • मच्छर का चक्र पूरा होने में 7-12 दिन लगते हैं. इसलिए, अगर पानी को स्टोर करने वाले किसी भी बर्तन या कंटेनर को सप्ताह में एक बार अच्छी तरह से साफ किया जाता है, तो मच्छरों के प्रजनन की कोई संभावना नहीं है.

  • इंफेक्शन को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों के काटने से बचना है. इन कीटों से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करें.

  • मच्छर मनी प्लांट के गमले में या छत पर पानी की टंकियों में अंडे दे सकते हैं, अगर वे ठीक से ढके न हों. यदि छतों पर रखे गए पक्षियों के पानी के बर्तन को हर हफ्ते साफ करें, नहीं तो मच्छर उनमें भी अंडे दे सकते हैं.

  • मच्छरदानी या मॉस्क्यूटो रेपेलेंट का उपयोग करने का प्रयास करें.

  • पूरे बाजू की कमीज और ट्राउजर पहनने से मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है. मच्छर से बचाने वाली क्रीम का उपयोग दिन में किया जा सकता है.


ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.