स्किन डोनेशन क्या होता है? काम कैसे करता है और क्यों पड़ती है इसकी जरूरत...
किडनी, फेफड़े लंग्स, आंखे और हार्ट डोनेट करने के अलावा आजकल स्किन डोनेशन भी किया जा सकता है. किसी दुर्घटना में जल जाने या एसिड अटैक की वजह से हर साल कई लोगों की स्किन जल जाती है.
आज के समय में मेडिकल साइंस एडवांस हो गई है कि ब्लड डोनेशन और ऑर्गन डोनेशन के जरिए जरूरतमंद लोगों को जिंदगी वरदान में मिली है. किडनी, फेफड़े लंग्स, आंखे और हार्ट डोनेट करने के अलावा आजकल स्किन डोनेशन भी किया जा सकता है. आमतौर पर ज्यादातर स्किन डोनेशन के बारे में नहीं जानते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बहुत सारे लोग जो ऑर्गन डोनेट करते हैं वह अपनी स्किन भी डोनेट करते हैं.
स्किन जलने से हो जाती है गंभीर बीमारी
किसी दुर्घटना में जल जाने या एसिड अटैक की वजह से हर साल कई लोगों की स्किन जल जाती है. ऐसे में स्किन डोनेशन की मदद से लोगों की मदद कि जाती है.आंकडों के मुताबिक, भारत में हर साल 80 लाख से भी अधिक लोग जल जाते हैं. इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे होते हैं. वहीं दूसरी स्किन जलने से 10-15 प्रतिशत लोगों को स्किन से जुड़ी गंभीर बीमारी हो जाती है. यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.
स्किन डोनेशन की क्यों पड़ती है जरूरत?
स्किन किसी भी व्यक्ति के शरीर का नैचुरल कवर है. जो शरीर के सेफ गार्ड की तरह काम करती है. सिर्फ इतना ही नहीं यह सूरज, प्रदूषण, केमिकल्स और बैक्टिरिया से शरीर को बचाती है. साथ ही यह शरीर को सुरक्षित रखती है. नैचुरली, हल्की चोट या खरोंच आदि के लगने पर स्किन खुद ब खुद रिकवर हो जाती है. इसके साथ ही यह निशान और धब्बे धीरे-धीरे हल्के होने लगते हैं.
स्किन डोनेशन कैसे किया जा सकता है?
स्किन डोनेशन के लिए सबसे पहले ब्लड टेस्ट और स्किन का कलर टेस्ट किया जाता है. स्किन डोनेशन के लिए स्किन डोनेशन बैंक से भी मदद ली जा सकती है. आमतौर पर जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके 6 घंटे के अंदर जरूरतमंद को स्किन डोनेट किया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि स्किन डोनेशन करने वाले व्यक्ति के स्किन को 3-5 सालों तक फ्रीजिंग प्रोसेस के जरिए स्किन स्टोर किया जाता है.
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