2009 से लेकर अब तक स्वाइन फ्लू भारत में 5000 लोगों को हमसे छीन चुका है. इस साल भी स्वाइन फ्लू के फैलने की शुरूआत हो चुकी है. सर्दियां आते-आते इसके और बढ़ने की आशंका है. स्वाइन फ्लू का वायरस हवा के साथ फैलता है. इसके फैलने के चक्र को रोका जा सकता है. एबीपी न्यूज ने स्वाइन फ्लू से देश को जागरूक करने की मुहिम शुरू की है. लेकिन ऐसा होना एक शख्स के बिना संभव नहीं है और वो शख्स हैं आप. कैसे? इसी पर है सीनियर प्रोड्यूसर मनीश शर्मा की ये सीरीज... स्वाइन फ्लू से सावधान!
ताकि आपको ना लगे स्वाइन फ्लू की नजर-
गुजरात के आमराई बाड़ी इलाके की रहने वाली हसुमतीबेन पटेल गुजरात के उन दो हजार मरीजों में शामिल हैं जो स्वाइन फ्लू के H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस की चपेट में आए. एबीपी न्यूज़ से स्वाइन फ्लू के बारे में बातचीत के दौरान हसुमतीबेन को याद आया 108 डिग्री का बुखार और पूरा बदन टूटना.
हसुमतिबेन और उनका परिवार परेशान है कि वो स्वाइन फ्लू का शिकार हुए. पर उन्हें भगवान का शुक्रिया करना चाहिए कि इस खतरनाक वायरस ने उन्हें सिर्फ तंग किया. सही वक्त पर इलाज ने उनकी जान बचा ली. लेकिन गुजरात में सब इतने खुशकिस्मत नहीं है. गुजरात में अगस्त तक स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों की संख्या 242 तक पहुंच चुकी है. सिर्फ अगस्त के 17 दिनों में स्वाइन फ्लू के 1300 से ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं. लेकिन स्वाइन फ्लू से बचने के बाद भी हसुमतिबेन पटेल का परिवार अभी इस बात से अंजान है कि आखिर स्वाइन फ्लू कैसे फैलता है और क्यों इतना खतरनाक हो जाता है. स्वाइन फ्लू के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए हम एक सीरीज शुरू कर रहे हैं जिसमें आपको रोज स्वाइन फ्लू से सावधान करने वाली बातें बताई जाएंगी ताकि आप ना इसका शिकार होएं और ना आसपास में होने दें.
स्वाइन ‘फ्लू’ है, इसे फ्लू की तरह निपटें-
स्वाइन कहते हैं सुअर को. आमतौर पर स्वाइन फ्लू सुअरों से जुड़े काम करने वाले लोगों में फैलता था. लेकिन साल 2009 में इस फ्लू का एक नया रूप विकसित हुआ जिसे H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस कहते हैं. ये सुअरों से इंसानों में नहीं बल्कि इंसानों से इंसानों में फैलना शुरू हुआ. 2009 में स्वाइन फ्लू से 14 हजार से ज्यादा मौत हुई थीं.
2009 से ही भारत में भी स्वाइन फ्लू ने जड़ें जमानी शुरू कर दीं.
भारत में 2009 में 981 मौत
2010 में 1763 मौत
2011 में 75 मौत
2012 में 405 मौत
2013 में 699 मौत
2014 में 218 मौत
2015 में 937 मौत
2016 में 265 मौत
यानी पिछले साल तक सरकारी आंकड़ों में 4362 मौत दर्ज हुई हैं जबकि इस साल में अब तक 700 मौत का आंकड़ा सामने आ चुका है.
सवाल उठता है कि 5000 जान लेने वाले स्वाइन फ्लू से डरना चाहिए?
स्वाइन फ्लू एक किस्म का फ्लू ही है. फ्लू यानि इनफ्लूएंजा, यानि फैलने वाला जुकाम. ये सांस से होने वाला इंफेक्शन है. फ्लू फैलाने वाले वायरस अनगिनत हैं. इसलिए हर साल आप नए किस्म के वायरल फीवर से पीड़ित होते हैं. जिसमें अलग तरह के लक्षण होते हैं. ये वायरस हर साल अपना रूप बदलते रहते हैं. अमेरिका में हर साल 5 से 20 फीसदी तक आबादी हर साल फ्लू की चपेट में आती है. लेकिन भारत में ये आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है. इतना ज्यादा है कि एक घर में वायरस घुसता है तो एक-एक कर पूरा घर चपेट में आता है. पड़ोसी आते हैं, स्कूल आते हैं.
कुछ वायरस हल्के होते हैं वो कुछ तंग कर निकल जाते हैं लेकिन कुछ वायरस खतरनाक होते हैं जो सर्दी-जुकाम निमोनिया जैसे रोगों में बदल जाता है और जानलेवा भी हो सकता है. बच्चे, बूढ़े, ऐसे लोग जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हैं या वो दूसरी बीमारियों का शिकार हैं, इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आते हैं.
स्वाइन फ्लू से कैसे बचें?
फ्लू से बचने का पक्का फॉर्मूला ये है कि हवा में फैले संक्रमण से बचें. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ये जल्दी फैलता है. किसी बीमार से हाथ मिलाया तो समझिए आप गए. इसलिए इस फ्लू के सीजन में हाथ मिलाने से भीड़ में जाने से बचिए. लेकिन ये जागरूकता की पहली कड़ी है, रोज आपको स्वाइन फ्लू से बचने के कुछ ऐसे तथ्य बताएं जाएंगे जिनसे आप बीमारियों से एक कदम दूर रहेंगे.
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