Eye Care Tips: क्या लैपटॉप की स्क्रीन पर लिखे टेक्स्ट साफ नजर नहीं आ रहे हैं? क्या आप अपना लैपटॉप ठीक करने में परेशान और अक्सर पलक झपकाते हुए पाते हैं? अगर हां, तो जल्द से जल्द नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास अपनी मुलाकात तय करें. आंखों में दर्द, ध्यान लगाने में दुश्वारी और आंखों से पानी का बहना ये सभी धुंधली रोशनी के संकेत हैं. ये उम्र से जुड़ी आंख की आम समस्या है. उसका असर आपकी पूरी दृष्टि की रेखा या मात्र रोशनी के हिस्से पर पड़ सकता है.


आंख की मामूली समस्या को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी


धुंधला दिखना आंख के किसी हिस्से जैसे कॉर्निया, रेटिना या ऑप्टिक तंत्रिका की समस्या के कारण हो सकता है. आंख कुदरत का अनमोल तोहफा और हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग. बहुत नाजुक होने के चलते उसकी  पूरी देखभाल की जरूरत होती है. आंख की मामूली समस्या को भी नरजअंदाज करना भारी पड़ सकता है. समस्या का समय पर इलाज नहीं करने से दृष्टि प्रभावित हो सकती है या हमेशा के लिए आंखों की रोशनी जा सकती है.


उम्र बढ़ने के साथ रेटिना या आंख की समस्या का जोखिम होता है. बुजुर्गों को नजर की सबसे आम समस्याओं में से एक एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (एएमडी) है. एएमडी सीधे मैक्युला को प्रभावित करती है. मैक्युला, आंख के पीछे रेटिना का एक हिस्सा है. ये मानव नेत्र के सेंट्रल विजन (केंद्रीय दृष्टि) को प्रभावित कर सकता है. पचास वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन दृष्टिहीनता का सबसे प्रमुख कारण है, जिससे बीमारी की रोकथाम और शुरुआती पहचान जरूरी हो जाती है.


एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन दृष्टिहीनता का है प्रमुख कारण


बढ़ती उम्र इसका सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है. इसके अलावा अनुवांशिक और पर्यावर्णीय कारक के साथ धूम्रपान खतरा बढ़ा देते हैं. नेत्र रोग विशेषज्ञ विशाली गुप्ता का कहना है कि भारत में रेटिना की बीमारी का बोझ बढ़ रहा है. रेटिना की बीमारी एएमडी को रोका नहीं जा सकता क्योंकि ये उम्र बढ़ने के साथ होती है. बहुत सारे एएमडी रोगियों को असामान्य नई रक्त धमनियां विकसित हो सकती हैं जिसके लिए आंख में नियमित इंजेक्शन, नियमित जांच और इलाज की जरूरत होती है.


कोरोना काल में हमने रेटिना के हेल्थकेयर में बाधा देखी है क्योंकि बहुत सारे मरीज इंजेक्शन या समय पर लेजर का इलाज पाने में अक्षम थे. उसकी वजह से मरीज एडवांस चरणों में हमारे पास पहुंचे जिसमें जटिल सर्जरी करने की जरूरत होती है. महामारी स्क्रीनिंग के साथ नियमित रेटिना की जांच में देरी की वजन बनी है. समस्या के बढ़ने से मरीज बीमारी के एडवांस चरण में विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम की रूटीन ने सुस्त लाइफस्टाइल को बढ़ावा दिया है, डाइट बदतर हुई है और तनाव का लेवल बढ़ा है, जो आगे स्वास्थ्य के मुद्दों में योगदान करते हैं. इसलिए एएमडी को शुरुआती स्तर पर पहचान कर स्थिति के प्रभावी तरीके की तलाश की जा सकती है. 


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