कोविड की बीमारी ने मरीजों का किया बुरा हाल, घरवालों का चेहरा भी नहीं पहचान पा रहे हैं: स्टडी
लंबे समय तक कोविड-19 संक्रमण से प्रोसोपेग्नोसिया नामक स्थिति हो सकती है, जिसे "फेस ब्लाइंडनेस" भी कहा जाता है. इस स्थिति के कारण व्यक्तियों को अपने परिवार के सदस्यों को भी पहचानने में कठिनाई हो रही
Face Blindness: कोरोना वायरस ने पिछले कुछ सालों से इस कदर तबाही मचाई है जिसका खामियाजा लोग अब तक भुगत रहे हैं. कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याए बनी हुई है.लॉन्ग कोविड के अधिकतर मामले में अब तक थकान, ब्रेन से जुड़ी शिकायत, सांस फूलने, बीपी और ह्रदय रोग की शिकायत हो रही थी लेकिन अब इससे एक नई समस्या हो रही है.एक नए अध्ययन के अनुसार, लंबे समय तक कोविड-19 संक्रमण से प्रोसोपेग्नोसिया नामक स्थिति हो सकती है, जिसे "फेस ब्लाइंडनेस" भी कहा जाता है. इस स्थिति के कारण व्यक्तियों को अपने परिवार के सदस्यों और करीबी परिचितों को भी पहचानने में कठिनाई हो रही है.रोगियों को अपने रिश्तेदार, घर वाले के चेहरे पहचानने में दिक्कत हो रही है.
प्रोसोपेग्नोसिया या फेस ब्लाइंडनेस क्या है?
प्रोसोपाग्नोसिया, जिसे फेस ब्लाइंडनेस के रूप में भी जाना जाता है, एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो किसी व्यक्ति की चेहरों को पहचानने और उनमें अंतर करने की क्षमता को बाधित करती है. इस विकार वाले व्यक्तियों को परिवार और दोस्तों जैसे परिचित चेहरों को पहचानने में कठिनाई हो सकती है, और अज्ञात चेहरों के बीच अंतर करने में भी कठिनाई हो सकती है.जानकारी के मुताबिक रोगी को ऐसा लगता है कि उसके पिता की आवाज़ किसी अजनबी के चेहरे से निकल रही है
आवाज के साथ चेहरे मैच होने में हो रही कठिनाई
कॉर्टेक्स पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में, एनी नाम की एक 28 वर्षीय महिला के बारे में बताया गया है कि महिला 2020 में कोरोना से पीड़ित हुई थी और अब उसे फेस ब्लाइंडनेस की समस्या हो रही है.कोविड होने से पहले एनी को चेहरे पहचानने में कोई दिकक्त नहीं होती थी.उसने बताया कि संक्रमित होने के दो महीने बाद, उसे अपने करीबी परिवार के सदस्यों को भी पहचानने में कठिनाई हुई. एक रेस्तरां में, उसने अपने पिता को बिना पहचाने, एक अजनबी के चेहरे से उसकी आवाज सुनकर पास कर दिया.एनी ने विशेष रूप से कोविड -19 को अनुबंधित करने के बाद "नेविगेशनल डेफिसिट्स" का अनुभव करने का जिक्र किया, जिससे उसके लिए किराने की दुकान के माध्यम से नेविगेट करना, अपनी खड़ी कार का पता लगाना और उन स्थानों को याद करना मुश्किल हो गया, जहां वह हाल ही में गई थी.
स्टडी में ये बात आई सामने
शोधकर्ताओं ने एनी सहित 54 प्रतिभागियों का डेटा इकट्टा किया जिससे पता चला कि अधिकांस को विजुअल रिकॉग्नाइजेशन की दिक्कत हो रही थी. हालांकि दुनियाभर में कोविड संक्रमित रहे 2 से 3 फीसदी लोगों में ही अब तक लॉन्ग कोविड के इस तरह के लक्षण देखे गए हैं.वैज्ञानिकों के मुताबिक इस स्थिति का स्टीक कारण अब तक पता नही है हालांकि शोध में ये पाया गया है कि कोरोना का संक्रमण मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में असामान्यताओं का कारण बन रहा है जो विजुअल इनपुट को बनाने में मदद करते हैं और चेहरे की पहचान में हमारी सहायता करते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीके और सुझाव प्रफेशनल्स द्वारा दिए गए इनपुट्स पर आधारित हैं. इन्हें अमल करने से पहले संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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