मन का विश्वास कमजोर हो ना: लॉकडाउन के दौरान बढ़ रहे हैं पारिवारिक मतभेद तो ऐसे करें दूर
लॉकडाउन के दौरान घरेलु झगड़ों में वृद्धि देखने को मिली है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि किसी व्यक्ति के साथ लगातार लंबा समय बिताने पर ये समस्या स्वभाविक है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू जारी है. इस लॉकडाउन को आज एक महीना पूरा हो गया है. राष्ट्रव्यापी बंद का पालन करने के लिए सभी लोग अपने अपने घरों में बंद हैं. हालांकि इस लॉकडाउन के दौरान घरों में होने वाले आपसी विवाद में इजाफा देखने को मिला है.
लॉकडाउन के दौरान लंबे वक्त से घर में रहने से जहां लोग अब परेशान हो रहे हैं. वहीं कुछ परिवारों के बीच बेवजह चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ रहा है. इस बंद के दौरान अगर आपको बात-बात पर गुस्सा आता है, किसी खास सदस्य से झगड़ा हो रहा है, बच्चों को माता-पिता की हर बात बुरी लगती है, बच्चों में चिड़चिड़पन बढ़ने लगा है, पति-पत्नि के बीच आपसी मनमुटाव हो रहा है, एक दूसरे की कमियां निकलना, दिमाग में अच्छी बातें ना आना, एक दूसरे के नुकसान के बारे में सोचना, बेइज्जती करना झूठ बोलना, चुगली करना, गलती होने पर भी मांफी ना मांगना.
अगर इन दिनों आप अपने अंदर या परिवार के बीच इस तरह का तनाव देख रहे हैं, तो यकीनन आपके परिवार में आपसी मतभेद बढ़ रहे हैं, लेकिन सवाल ये कि पति-पत्नी और आपके बच्चों के बीच इतनी दूरियां कैसे बढ़ने लगी. लॉकडाउन में पारिवारिक मतभेद की मनोवैज्ञानिक समस्या का समाधान जानना जरूरी है.
मतभेद को ऐसे करें दूर
एबीपी न्यजू के विशेष संवाददाता इंद्रजीत राय, न्यूरोलॉजिस्ट नवदीप कुमार और मनोवैज्ञानिक मनीषा सिंघल के ने इस समस्या का हल बताया है. इंद्रजीत राय ने बताया लॉकडाउन में पारिवारिक मतभेद होने की बड़ी वजह क्या है. राय के मुताबिक बहुत सारी चीजें जिनसे आप इत्तेफाक नहीं रखते या उन पर सहमति नहीं बन पाती और एक व्यक्ति के साथ लंबा समय बिताने पर भी मतभेद होना स्वभाविक है. इस मतभेद को दूर करने की कोशिश करें.
छुट्टियों की तरह लें लॉकडाउन
वहीं आपसी झगड़े बढ़ने से आप खुद पर काबू नहीं रख पाते हैं डॉक्टर मनीषा सिंघल ने इसका हल बताया है. उन्होंने बताया कि कैसे इस डर पर आप जीत हासिल कर सकते हैं. डॉ. सिंघल के मुताबिक फैमिली में जिन मुद्दों पर बहस होती है. उसे डिस्कस करने से बचें और इस लॉकडाउन को छुट्टी की तरह से लें. सिंघल ने बताया कि जैसे एग्जाम से पहले प्रिपेशन लीव मिलती है ये उसी तरह है. जो भी हमारी कमियां हैं सब कुछ नॉर्मल होने से पहले उन्हें दूर करें.
नकारात्मक सोच को कैसे करें दूर
इसके अलावा परिवार के बीच बार-बार बेवजह बहस होने से सोच नकारात्मक होने लगती है तो डॉक्टर नवदीप कुमार से कैसे इस डर को आप दूर कर सकते हैं.. उनके मुताबिक जिन गलतियों के दोहराने से परिवार में दिक्कतें पैदा हो रहा हैं उन्हें ना दोहराएं बल्कि उसके सॉल्युशन ढूंढने पर फोकस करें. उन्होंने कहा ये दोनों ही पार्टनर्स के लिए जरूरी है. ,
यानी न्यूक्लियर फैमिली में रहने वालों को इस डर से निजात पानी है तो उन्हें आपस में समय बिताना चाहिए, समय का सही इस्तेमाल करना चाहिए, एक दूसरे को समझने की कोशिश करें, खुद पर भरोसा रखें, बार-बार एक ही गलती को ना दोहराएं.
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