What is oxidative stress: हमारे शरीर का लगातार ऑक्सिडेशन होता रहता है. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ऑक्सिडेशन एक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर का ऑक्सीजन के साथ लगातार केमिकल रिऐक्शन चलता रहता है और शरीर की उम्र हर पल घट रही होती है. यही कारण है कि उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर बूढ़ा दिखने लगता है.


इस प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता. लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर और सही डायट के साथ इस प्रक्रिया के कारण शरीर पर होने वाले असर को धीमा जरूर किया जा सकता है. तो यह हुई ऑक्सिडेशन की बात. अब जानते हैं कि आखिर ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस किसे कहते हैं...


ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस क्या होता है?


ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का अर्थ होता है, शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा का बढ़ जाना. फ्री रेडिकल्स ऐसे मुक्त कण होते हैं, जो शरीर में रक्त और अन्य लिक्विड के साथ मिलकर बहते रहते हैं. ये हमारे शरीर की अंदरूनी कोशिकाओं को हानि पहुंचाते हैं, जिसका असर त्वचा के बाहरी हिस्से पर भी दिखता है और त्वचा थकी हुई, सूजन युक्त या अनफिनिश्ड दिखती है. दिखने लगती है. झुर्रियां और झाइयां आने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. इन मुक्त कणों को रोकने का काम करते हैं ऐंटिऑक्सिडेंट्स. लेकिन जब शरीर में मुक्त कणों और ऐंटिऑक्सिडेंट्स के बीच संतुलन गड़बड़ा जाता है, तब शरीर की त्वचा,कोशिकाओं और उत्तकों में जो तनाव पैदा होता है, उसे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कहा जाता है. 


शरीर में फ्री रेडिकल्स कहां से आते हैं?


हमारे शरीर में ये फ्री रेडिकल्स भोजन के पाचन के दौरान उत्पन्न होते हैं. जब शरीर में भोजन पचता है तो उस दौरान कई तरह की हानिकारक गैसें और रसायन भी बनते हैं, जिन्हें हमारा शरीर मल, मूत्र, पसीना, गैस इत्यादि के माध्यम से बाहर निकालाता है. लेकिन इस बीच फ्री रेडिकल्स के रूप में बड़ी मात्रा में मुक्त कण शरीर के अंदर रक्त में मिलकर प्रवाहित होने लगते हैं और शरीर की एंजिंग प्रॉसेस यानी फम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं.


क्यों हानिकारक है ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस?



  • ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस जल्दी बूढ़ा तो करता ही है लेकिन साथ ही अगर यह लंबे समय तक बना रहे तो कई जानलेवा बीमारियों को ट्रिगर करने की वजह भी बन सकता है. जैसे हार्ट अटैक, डायबिटीज, अल्जाइमर, पार्किंसन, हाई बीपी, क्रोनिक फटीग, कमजोर प्रजनन क्षमता और यहां तक कि कैंसर भी.

  •  इसलिए मेटाबॉलिक सिस्टम को ठीक रखना बहुत जरूरी होता है. क्योंकि जिस समय पाचन के दौरान मुक्त कण बनते हैं, उसी समय इन्हें रोकने के लिए ऐंटिऑक्सिडेंट्स भी बनते हैं. लेकिन जब किसी भी कारण से ऐंटिऑक्सिडेंट्स अधिक बनने लगते हैं तो शरीर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने लगता है. ऐसी स्थिति आमतौर पर तब होती है जब अनहेल्दी भोजन का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है. इसलिए फास्टफूड, मैदा से बनी चीजों, अधिक स्पाइसी और डीप फ्राइड फूड्स को कम खाने या ना खाने की सलाह दी जाती है.

  • जो लोग नींद पूरी नहीं लेते और लगातार अनहेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करते हैं, उन्हें भी इस तरह की समस्या का सामाना करना पड़ता है.

  • अधिक प्रदूषण वाली जगहों पर रहने वाले लोगों के शरीर में भी ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का असर अधिक देखा जाता है. 



ऑक्सिटेडिव तनाव को कैसे कम करें?



  • ऑक्सिटेडिव तनाव से बचने का सबसे सरल उपाय है सही जीवनशैली और खान-पान.

  • पानी का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें. हर दिन 8से 10 गिलास पानी पिएं. सूप, लस्सी, दूध इत्यादि का सेवन करें.

  • हर दिन चार से पांच बार अलग तरह के फल और सब्जियों का सेवन करें.

  • खट्टे फल अधिक मात्रा में खाएं. जैसे, आंवला, चेरी, आलूबुखारा, स्ट्रॉबेरी, लाल और काले अंगूर इत्यादि.

  • विटामिन-ए, विटामिन-सी और विटामिन-ई का सेवन करें.

  • सब्जियों में गाजर, टमाटर, पालक, जैतून, हल्दी के पत्ते, हरी प्याज और ब्रोकली जरूर शामिल करें.

  • पर्याप्त नींद लें और सोने-जागने का समय निर्धारित करें.

  • नियमित रूप से फिजिकल ऐक्टिविटीज करें. फिर चाहे वॉक पर जाएं, गेम्स इंजॉय करें या फिर रनिंग करें.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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