फेडरल रेग्युलेटर जल्द ही आर्टिफिशियल रेड 3 कलर को बैन कर सकती है .क्योंकि FDA ने पाया है कि इसे लगातार इस्तेमाल करने के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. जीम जोन्स जोकि 'फूड्स एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' के 'ह्यूमन्स फूड्स फॉर यूएसए' डेप्यूटी कमिशनर के पद पर हैं. उन्होंने कहां कि कलरफुल कैंडीज, मार्समेलो जैसी खाने वाली चीजों में इस तरह के आर्टिफिशियल कलर का इस्तेमाल किया जा रहा है . इसकी री इवैल्यूएशन जरूरी है. एनबीसी न्यूज के मुताबिक जोन्स ने कहा रेड 3 के साथ हमारे सामने प्राधिकरण बोर्ड को रद्द करने के लिए एक याचिका दायर की है. और हमें उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में हम उस याचिका पर कार्रवाई करेंगे.
रेड 3 का इस्तेमाल लगभग 3,000 फूड प्रोडक्ट में होता है
सेंटर फॉर साइंस इन पब्लिक इंटरेस्ट के अनुसार, रेड 3 का उपयोग लगभग 3,000 फूड प्रोडक्ट में किया जाता है, जिसमें पीप्स, नर्ड्स, स्वीटार्ट्स जैसी लोकप्रिय कैंडीज शामिल हैं. हालांकि FDA ने रेड 3 को फूड आइटम में इस्तेमाल करने की अनुमति दी है, लेकिन एजेंसी ने इसे ब्यूटी प्रोडक्ट में इस्तेमाल करने से बैन कर दिया है.
चूहों पर किया गया रिसर्च में मिला कैंसर
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एरिथ्रोसिन (जो रेड 3 बनाता है) पर किए गए कई रिसर्च का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला है कि सभी उम्र वाले लोगों के लिए एरिथ्रोसिन के डाइट संबंधी जोखिम स्वास्थ्य संबंधी चिंता का विषय नहीं हैं. ऐसा इस निष्कर्ष के बावजूद है कि यह डाई कुछ चूहों में थायरॉयड कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है.
आर्टिफिशियल फूड कलर क्यों है खतरनाक?
आर्टिफिशियल फूड कलर को फूड डाई के नाम से भी जाना जाता है. ये खास तरह के सिंथेटिक रंग होते हैं जो प्रोसेस्ड फूड के रंग और स्वाद को बेहतर बना देते हैं. इसी में एक है ऑर्टिफिशियल फूड कलर (Artificial Food Color). ऑर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल खाने की चीजों का रंग और टेस्ट को बहतर बनाने में किया जाता है. लेकिन कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, इसके ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां होने का खतरा रहता है. आइए जानते हैं आर्टिफिशियल फूड कलर से होने वाले नुकसान..
आर्टिफिशियल फूड कलर किसी जहर से कम नहीं
कैंसर
ऑर्टिफिशियल फूड कलर से बनाई जाने वाली चीजों में बेंजीन की मात्रा पाई जाती है. इसे कार्सिनोजेन के नाम से भी पहचाना जाता है. इसके अलावा, फूड डाई में ऐसे कई सारे केमिकल मौजूद होते हैं जो कई बीमारियों को न्योता देते हैं. कई हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, ऑर्टिफिशियल फूड कलर से बनी चीजों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से कैंसर (cancer) जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर
फूड कलर से बनी चीजों को लंबे समय तक इस्तेमाल करने से अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर की समस्या होने का खतरा भी होता है. हालांकि, अभी तक इसके बारे में पूरी तरह से पुष्टि नहीं की जा सकी है. ज्यातादर रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, सिंथेटिक फूड कलर से बनी चीजों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से ADHD का खतरा बढ़ जाता है.
एलर्जी की समस्या
बीते समय तक कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि आर्टिफिशियल फूड कलर से एलर्जी की समस्या हो सकती है. जैसे, कई रिसर्च से पता चला है कि पीले रंग की एक डाई जिसे टार्ट्राज़िन कहा जाता है, से अस्थमा और पित्ती का खतरा होता है.
आर्टिफिशियल फूड कलर से इस तरह बचें
घर का बना खाना खाएं
आर्टिफिशियल फूड कलर के इस्तेमाल से बचने का सबसे अच्छाय तरीका यही है कि घर के बने खाने का ही ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए. पैक्ड फूड से जितना मुमकिन हो दूर रहें.
हेल्दी फूड चुनें
खाने पीने की चीजों में अलग अलग रंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए खाने पीने की चीजों को चुनते समय ध्यान रखें कि उसमें फूड डाई के मिले होने की कितनी संभावना है.
इंग्रीडिएंट्स पर दें ध्यान
पैक्ड फूड खरीदने से पहले उस पर दी गई सूची में उसे बनाने में इस्तेमाल किए गए इंग्रीडिएंट्स को ध्यान से देखें. वहां पर इस बात का पता आसानी से लगाया जा सकता है कि उसमें कितनी मात्रा में आर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल किया गया है.