वायरल बुखार एक ऐसी स्थिति को कहा जाता है जिसमें शरीर का तापमान वायरस के हमले या संक्रमण की वजह से बढ़ जाता है, न कि दूसरे रोगजनकों जैसे बैक्टीरिया या फंगस से. वायरस शरीर के किसी भी हिस्से जैसे लंग्स और आंत पर धावा बोल सकता है और शरीर के तापमान में वृद्धि एक संकेत है कि इम्यून सिस्टम ने रोगजनकों पर हमला करना शुरू कर दिया है.


बुखार के कारण, लक्षण और इलाज 


इंसानों के सामान्य शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है, हालांकि हर शख्स के लिए थोड़ा अलग हो सकता, दिन में करीब 0.5 डिग्री सेल्सियस का अंतर कई फैक्टर जैसे शारीरिक गतिविधि, मेटाबोलिक में बदलाव के कारण अलग होता है. जब 0.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की बढ़ोतरी हो, तो बुखार रोगजनकों के कारण समझा जाता है. उसके आम लक्षणों में ठंड, शरीर का दर्द, पसीना, सिर दर्द और स्किन पर चकत्ता शामिल है जबकि आम कारण संक्रमित शख्स की छोटी बूंद या दूषित भोजन और पानी के संपर्क में आने से हो सकता है.


बुखार के कारण- आम तौर पर बुखार कई फैक्टर की वजह से होनेवाला एक लक्षण है. बुखार में अधिक तापमान अक्सर एक या कुछ दिन में कम हो जाता है, लेकिन बने रहने या लंबे के लिए फिर से होने पर कभी-कभी ये जीवन के लिए खतरा हो सकता है. बुखार के कारण अलग-अलग होते हैं. सामान्य कारणों में फ्लू, कान का दर्द या सिर दर्द जबकि गंभीर शक्ल में ट्यूमर या ऑटो इम्यून रोग शामिल हैं. रात के समय बुखार आश्चर्यजनक और थकाऊ हो सकता है, जबकि आप दिन में स्वस्थ रहते हैं. रात का बुखार चिंता का विषय हो सकता है और किसी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.


प्रभावी देसी इलाज- बुखार चंद दिनों में खुद या साधारण देसी इलाज से खत्म हो जाता है. कुछ घरेलू उपाय जैसे अदरक की चाय, हल्दी दूध, तुलसी की पत्ती की चाय, लौंग के तेल का मसाज, अजवाइन का काढ़ा और शहद के साथ दालचीनी का इस्तेमाल हल्के से मध्यम बुखार का इलाज करने के लिए सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है. घरेलू इलाज का साइड-इफेक्ट्स नहीं होता है और लंबे समय तक रोगजनकों के खिलाफ इम्यूनिटी देता है.


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