Fibromyalgia: कोरोना संक्रमण का सामना कर चुके लोग कोविड-19 के बाद पैदा होनेवाली दिक्कतों से वाकिफ हैं. थकान, सांस की दिक्कत, सिर दर्द, नींद की परेशानी से लेकर ऊर्जा की कमी तक बहुत सारे लक्षण हैं जिसका लोग अनुभव कर रहे हैं, वायरल संक्रमण होने के बाद भी. लेकिन अगर आप जोड़ दर्द, याद्दाश्त की समस्या, भारी थकान या नींद न आना जैसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आप फाइब्रोमाइल्जिया से पीड़ित हो सकते हैं. 


फाइब्रोमायल्जिया या फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जो पूरे शरीर में दर्द, थकान का कारण बनती है. अर्थराइटिस या जोड़ का सूजन के साथ फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण अक्सर भ्रमित हो जाते हैं. हालांकि, अर्थराइटिस की तरह, ये जोड़ का दर्द या मसल में सूजन और क्षति पैदा करनेवाला नहीं पाया गया है. वॉकहार्ट अस्पताल मुंबई में डॉक्टर बिपिन जिभकटे कहते हैं कि फाइब्रोमायल्जिया दर्दनाक स्थिति है, और दर्द आम तौर पर शरीर के मसल, नरम टिश्यू और नस में होता है, इस स्थिति में दर्द सबसे आम लक्षण है.


फाइब्रोमायल्जिया के कारण और लक्षण क्या हैं?
डॉक्टर के मुताबिक इस स्थिति के प्रमुख लक्षणों में नींद न आना, मसल और जोड़ में दर्द के साथ थकान शामिल हैं. उसके अलावा ये स्थिति अक्सर चिंता और डिप्रेशन, ध्यान में परेशानी, पेट बार बार खराब होना, दर्द, हाथों और पैरों में सुन्नता के साथ होती है. फाइब्रोमायल्जिया का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है, अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग वजह हो सकती है. इसके पीछे अनुवांशिक होना भी देखा गया है. कुछ रिस्क फैक्टर भी होते हैं जो इस स्थिति के विकास को ट्रिगर कर सकते हैं. 


फाइब्रोमायल्जिया की पहचान कैसे होती है?
बिपिन जिभकटे ने बताया कि बीमारी का पता लगाना आसान नहीं है क्योंकि कोई विशेष टेस्ट नहीं है. लेकिन एक डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर फाइब्रोमायल्जिया को जान सकता है. उनका कहना है कि फाइब्रोमायल्जिया की प्रमुख विशेषता पूरे शरीर में दर्द है, इसलिए डॉक्टर आपसे अपना दर्द बयान करने के लिए कहेगा, ताकि फाइब्रोमायल्जिया और समान लक्षणों वाली दूसरी बीमारी के बीच फर्क किया जा सके. 


क्या फाइब्रोमायल्जिया इलाज योग्य बीमारी है?
फाइब्रोमायल्जिया जिंदगी की क्वालिटी को प्रभावित कर सकती है, लेकिन ये अभी भी इलाज योग्य बीमारी है. डॉक्टर ने बताया कि फाइब्रोमायल्जिया जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन मरीज के ठीक होने में देरी हो सकती है. इसलिए, मरीज को बीच में इलाज नहीं छोड़ना चाहिए, वरना ये आपके लक्षणों को बदतर कर सकती है.


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