गाजियाबाद के एक 34 वर्षीय शख्स को तीन डॉक्टरों की टीम ने नई जिंदगी दी है. सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि मरीज की जान बचाने के लिए जटिल ऑपरेशन करना पड़ा. कोविड से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस का सफलतापूर्वक इलाज दुनिया का पहला मामला है और उसे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया जा रहा है.


ब्लैक फंगस के कारण गंवाए किडनी और फेफड़ा


अस्पताल की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि रंजीत कुमार को कोविड के बाद की दिक्कतों पर अस्पताल लाया गया था. उसको सांस लेने में दुश्वारी, थूक में खून और तेज बुखार की शिकायत थी. जांच के बाद डॉक्टर ये देखकर हैरान रह गए कि म्यूकर या फंगस न सिर्फ उसकी नाक तक घुस गया था, बल्कि बाएं फेफड़े और दाहिनी किडनी तक भी फैल गया था. अस्पताल की तरफ से कहा गया, "फेफड़े और किडनी दोनों के हिस्से बुरी तरह प्रभावित हो चुके थे और आगे फैलने का डर था. उसके कारण म्यूकर माइकोसिस का ये मामला अनोखा और चुनौतीपूर्ण हो चुका था. इसलिए फंगस से संक्रमित हिस्सों को तत्काल हटाने का फैसला किया गया."


जटिल ऑपरेशन करने में डॉक्टरों को लगे छह घंटे


माइक्रोमाइसेट्स के कारण होनेवाला ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस गंभीर मगर दुर्लभ फंगल संक्रमण है. ये उन लोगों में ज्यादा आम है जिनकी इम्यूनिटी कोविड-19, डायबिटीज, किडनी यालिवर रोग, उम्र संबंधी समस्याओं के कारण कमजोर हो गई है. चूंकि फंगस तेजी से फैलनेवाली बीमारी है और दूसरे अंगों को आगे नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए जीवन रक्षक प्रक्रिया के तहत फौरन उसके बाएं फेफड़े और दाहिनी किडनी को निकालना पड़ा. जटिल सर्जरी की प्रक्रिया करीब छह घंटों तक चली. मरीज की स्थिति के बारे में डॉक्टर उज्जवल प्रकाश ने बताया, "एंटी फंगल थैरेपी के 45 दिनों बाद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है और उसकी सेहत ठीक है. 


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