सावधान! अब इंडिया में ज़ीका वायरस की मार, 3 मामलों की हुई पुष्टि
भारत में भी जीका वायरस ने दस्तक दे दी है जो चिंता की खबर हो सकती है.
नई दिल्लीः भारत में भी जीका वायरस ने दस्तक दे दी है जो चिंता की खबर हो सकती है. तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिला से ज़ीका वायरस का पहला मामला सामने आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को ही देश में जीका के तीन मामलों की पुष्टि की है. कैसे मिले मरीज में जीका वायरस के लक्षण- तमिलनाडु में जिस मरीज में जीका वायरस के लक्षण मिले हैं वो 28 वर्ष का है. 26 जून को ये युवक अंचैटी प्राइमरी हेल्थ सेंटर में पहुंचा जहां इसमें ज़ीका वायरस के लक्षण मिले. मरीज़ में ज़ीका के सारे लक्षण जैसे बुखार, स्किन रैशेज, जोड़ों में दर्द, आंखों में लाली मौजूद थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चिकनगुनिया, लैप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस टेस्ट करने के बाद जब कोई रिज़ल्ट नहीं आया तब 30 जून को इसके ब्लड और यूरीन सैंपल मनीपाल सेंटर ऑफ वायरस रिसर्च भेजा गया. अगले दिन रियल टाइम पीसीआर टेस्ट के जरिये ज़ीका वायरस कन्फर्म बताया गया. वहीं इसके साथ स्क्रब टाइफस के पीसीआर टेस्ट के जरिए ज़ीका वायरस को पूरी तरह कन्फर्म कर दिया गया. नेशनल सेंटर ऑफ वायरोलॉजी ने भी पांच दिन बाद इस मामले की पुष्टि की. ज़ीका वायरस का पता यूरीन सैम्पल के जरिए चला. हालांकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मरीज अब पूरी तरह रिकवर हो चुका है. तमिलनाडु के इस केस से पहले WHO ने ज़ीका के तीन मामलों की पुष्टि की है. गुजरात में अहमदाबाद की एक गर्भवती महिला इस वायरस का शिकार हो चुकी है. पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न ने फरवरी में ज़ीका वायरस की घोषणा करते हुए इसके खिलाफ़ कदम उठाने शुरु कर दिए हैं. एहतियात के लिए किए जा रहे हैं ये उपाय- आपको बता दें कि 18 नवंबर 2016 को ही WHO जीका वायरस से बचाव के लिए सतर्क रहने से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर चुका है. इसके अलावा डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज ने (011-23061469) नंबर जारी किया है जिस पर 24 घंटे संपर्क किया जा सकता है. स्थिति पर गंभीरता से निगरानी रखी जा रही है. ज़ीका वायरस के संक्रमण की हालिया शुरूआत मई, 2015 में ब्राजील में हुई थी. चलिए जानते हैं जीका वायरस है क्या. क्या है जीका- जीका एक किस्म का वायरल इंफेक्शन है, जिससे बुखार, रैश, जोड़ों में दर्द, आंखों में लाली आदि होते हैं. यह मुख्य तौर पर एडिस मच्छर की वजह से फैलता है और गर्भवती मां के जरिए कोख में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है. जीका एक ऐसी बीमारी है जो नवजात में खासा देखा जा रहा है. जीका वायरस से संक्रमित बच्चों के सिर और साइज अपेक्षा से छोटे हैं. इस तरह के असामान्य लकवाग्रस्त हालत को गूलियन बॅरे सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है. जीका वायरस के संक्रमण से मस्तिष्क संबंधी कई जटिलताएं हो सकती हैं और उन संवेदी तंत्रिकाओं को भी नुकसान पहुंच सकता है जो तापमान, दर्द, कंपन और छुअन को त्वचा से महसूस करती है. यौन संबंधों के जरिए संक्रमण-
- जीका मच्छर काटने के अलावा संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध स्थापित करने से भी होता है. ओरल सेक्स और अप्राकृतिक सेक्स के साथ सामान्य यौन संबंधों के जरिए भी जीका का संक्रमण हो सकता है.
- अगर गर्भावस्था के दौरान जीका हो जाए तो यह भ्रूण में ही माईक्रो स्फैली का कारण बन सकता है.
- जीका वायरस वाले क्षेत्रों से लौट रहे सैलानियों को यौन संबंध बनाने से आठ सप्ताह तक परहेज करना चाहिए या सुरक्षित यौन संबंध ही बनाएं.
- गर्भधारण की योजना बना रहे जोड़ों को आठ सप्ताह के लिए रुक जाना चाहिए.
- अगर पुरुष में इसके लक्षण नजर आएं तो छह महीने के लिए रुक जाना चाहिए.
जीका का निदान- ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट के जरिए जीका वायरस के होने का पता लगाया जा सकता है. अगर जीका का ठीक से इन टेस्ट में पता नहीं चल पाता तो डॉक्टर कुछ और ब्लड टेस्ट करवाते हैं जैसे चिकनगुनिया और डेंगू के लिए करवाएं जाते हैं. एडवांस लैब्स से मॉलिकुलर टेस्टिंग भी करवाई जाती है जिससे जीका की सही पुष्टि की जा सके. जो लोग जीका प्रभावित क्षेत्रों से आएं हैं या जिन्होंने जीका संक्रमित व्यक्ति से सेक्स संबंध बनाए हैं उनके कुछ ब्लड टेस्ट, सीमन टेस्ट, वैजाइनल फ्लूड और यूरिन टेस्ट करवाएं जाते हैं. जीका का इलाज- इसका कोई खास इलाज नहीं हैं, बस मरीज को पूरी तरह से आराम करना चाहिए, अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए और बुखार पर नियंत्रण करने के लिए पैरासीटामोल का प्रयोग करना चाहिए. एस्प्रिन बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए. बच्चों में एस्प्रिन से गंभीर खतरा हो सकता है. जीका से बचाव-
- जीका वायरस से बचने के लिए एडिस की सक्रियता के समय घर के अंदर ही रहना चाहिए.
- यह दिन के वक्त सूरज के चढ़ने से पहले या छिपने के बाद सुबह जल्दी या शाम को काटते हैं.
- अच्छी तरह से बंद इमारतें इस से बचने के लिए सबसे सुरक्षित जगहें हैं.
- बाहर जाते हुए जूते, पूरी बाजू के कपड़े और लंबी पैंट पहने.
- डीट या पीकारिडिन वाले बग्ग स्प्रे या क्रीम लगाएं.
- दो महीने से छोटे बच्चों पर डीट वाले पदार्थ का प्रयोग न करें.
- कपड़ों पर पर्मिथ्रीन वाले कीट रोधक का प्रयोग करें.
- रुके हुए पानी को निकाल दें.
- अगर आप को पहले से जीका है तो खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं, ताकि यह और न फैल सके.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
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