कब मिला था डायबिटीज का पहला मरीज, कैसे चला था पता और क्या थे लक्षण?
हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है. इस दिन डायबिटीज को लेकर दुनिया भर में जागरूकता और इससे बचने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते है इस बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है.
बदलता खान पान और रहन-सहन कई नई गंभीर बीमारियों की उपज है. खराब लाइफस्टाइल की वजह से आज लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं. इन्हीं में से एक गंभीर बीमारी डायबिटीज यानी मधुमेह की भी है. हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है. इसे सर फ्रेडरिक बेंटिंग की जन्म तिथि पर मनाया जाता है. बता दें सर फ्रेडरिक बेंटिंग ने चार्ल्स हरबर्ट के साथ मिलकर इंसुलिन हार्मोन की खोज की थी. एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में आज लगभग 463 मिलियन लोग मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इन आंकड़ों में से 90% लोगों को टाइप टू डायबिटीज है. टाइप टू डायबिटीज के मामले महिलाओं में ज्यादा देखने को मिले हैं.
क्या है डायबिटीज?
सरल शब्दों में बताए तो डायबिटीज वह बीमारी है जब शरीर के पैन्क्रियाज में इंसुलिन की कमी हो जाती है. इंसुलिन की कमी होने की वजह से खून में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होने लगती है और इसी को डायबिटीज कहा जाता है. इंसुलिन एक तरह का हार्मोन है जो शरीर के अंदर पाचन ग्रंथि से बनता है, जो हमारे खाने को ऊर्जा में बदलने के काम करता है.
इस देश मे मिला पहला डायबिटीज मरीज
शायद बेहद कम लोगों को ये जानकारी होगी कि पहला डायबिटीज मरीज किस देश में मिला था. बता दें डायबिटीज यानी मधुमेह का पहला मामला 1550 बी सी में इजिप्ट में मिला था. इजिप्ट में ही पहली बार इसे बीमारी के रूप में पहचाना गया.
बीमारी का पहला लक्षण
मरीज के बार-बार पेशाब जाने के लक्षण को डायबिटीज का पहला लक्षण बताया गया.
वर्ल्ड डायबिटीज डे 2022 की थीम
हर साल डायबिटीज डे के लिए अलग-अलग थीम तय की जाती है. इस साल डायबिटीज डे की थीम एक्सेस टू डायबिटीज एजुकेशन है.
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