आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल द्वारा विकसित 'इम्यूनोएक्ट' एक खास तरह की थेरेपी है. जो भारत में 15 मरीजों को दी गई है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक उनमें से तीन ने कैंसर से सफलतापूर्वक मुक्ति पा ली है. कैंसर से मुक्त घोषित होने वाले पहले व्यावसायिक रोगी डॉ. गुप्ता ने मीडिया से खास बातचीत की. कुछ महीने पहले भारत के दवा नियामक 'सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन' (CDSCO) ने सीएआर-टी-सेल (CAR-T cell therapy) के कमर्शियल इंस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. इस थेरेपी के अंतर्गत मरीज के इम्यून सिस्टम को जेनेटिकली री-प्रोगाम किया जाता है.
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में कर्नल गुप्ता की सर्जरी हुई थी. वहां के डॉक्टरों ने बताया कि अब कर्नल गुप्ता कैंसर से मुक्त हो गए हैं. वह पहले मरीज जो थेरेपी लेने के बाद कैंसर से मुक्त हो गए हैं. कर्नल गुप्ता एक साल पहले तक सिर्फ ठीक होने का सपना देखते थे लेकिन अब डॉक्टर ने बताया है कि वह कैंसर फ्री हो गए हैं.
टाटा मेमोरियल सेंटर और एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट में हेमाटो ऑनकोलॉजिस्ट के मुताबिक यह कहना जल्दबाजी होगा कि जिंदगी भर यह इलाज काम करेगा लेकिन फिलहाल कैंसर के सेल्स से मुक्ति मिल गई है.
इलाज में कितना आता है खर्च
यह थेरेपी कई मरीजों के लिए एक लाइफलाइन बन गई है, जिनमें दिल्ली स्थित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. कर्नल वीके गुप्ता भी शामिल है. डॉ. वीके गुप्ता भारतीय सेना में 28 साल से काम कर रहे हैं. उन्होने 42 लाख रुपये खर्च करके यह थेरेपी ली. जबकि विदेशों में इस थेरेपी की कीमत 4 करोड़ है.
थेरेपी लेने वाले मरीज
इस थेरेपी के बारे में अभी कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी. लेकिन यह कहा जा सकता है कि अगर कैंसर के फर्स्ट स्टेज में ही इसका पता चल जाए तो इस थेरेपी से मरीजों की ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है.
भारत में कहां-कहां दी जा रही है यह थेरेपी
थेरेपी, NexCAR 19, ImmunoACT विकसित की है. जो IITB, IIT-B हॉस्पिटल में स्थापित है. यह बी-सेल कैंसर जैसे ल्यूकेमिका, लिम्फोमा के इलाज पर फोकस करता है. CDSCO ने अक्टूबर 2023 को इसके कॉमर्शियल इस्तेमाल को लेकर मंजूरी दी. अभी यह थेरेपी भारत के 10 शहरों के 30 हॉस्पिटलों में उपलब्ध है. 15 साल से अधिक उम्र वाले मरीज इस थेरेपी के जरिए इलाज करवा सकते हैं.
क्या है CAR-T सेल थेरेपी
काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर CAR-T सेल थेरेपी के जरिए ब्लड कैंसर का इलाज किया जाता है. ब्लड कैंसर के अलावा इस थेरेपी के जरिए लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा जैसे गंभीर कैंसर का इलाज किया जाता है. एंटीजन रिसेप्टर-टी सेल थेरेपी इलाज में इस्तेमाल होने वाली एडवांस तकनीक है. इस थेरेपी में तकनीक की मदद से मरीज के शरीर में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स के टी-सेल्स को निकाला जाता है. इसके बाद टी सेल्स और व्हाइट ब्लड सेल्स को अलग-अलग तरह से शरीर में डाला जाता है. एक बार जब थेरेपी पूरी हो जाती है. टी सेल्स कैंसर से लड़ने का काम करती है.
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