Fitness Tips: जानिए वे कौन से 3 कारण है जिनकी वजह से महिलाओ के लिए जरूरी होती है स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
महिलाओं में, एस्ट्रोजन हड्डी के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. खासतौर पर पोस्ट मीनोपॉज के बाद, शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर बिगड़ना शुरू हो जाता है और इसलिए, हड्डी का विकास रूक जाता है और बाद में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया हो सकता है. इनसे बचने के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है.
वेट ट्रेनिंग या रेजिस्टेंस ट्रेनिंग हमारी मसल्स को तो मजबूत बनाता ही है साथ ही वेट लॉस में भी काफी अहम भूमिका निभाता है. किसी भी तरह की रेजिस्टेंस ट्रेनिंग करने के बाद बॉडी में कैलरी बर्न होती रहती हैं. एक उम्र के बाद शरीर कमजोर होना शुरू हो जाता है और इस वजह से मांसपेशियों और हड्डियों भी कमजोर होने लगती है. महिलाओं में, एस्ट्रोजन हड्डी के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. खासतौर पर पोस्ट मीनोपॉज के बाद, शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर बिगड़ना शुरू हो जाता है और इसलिए, हड्डी का विकास रूक जाता है और बाद में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया हो सकता है.
किसी भी तरह की रेजिस्टेंस ट्रेनिंग हड्डियों और जोड़ों पर स्ट्रेस डालता है. जब आप अपनी मांसपेशियों पर काम करते हैं, तो वे आपकी हड्डियों पर स्ट्रेस डालते हैं. जवाब में, आपकी हड्डी के टीश्यू रीमॉडेल और मजबूत हो जाते हैं.
महिलाओं के लिए पुरुषों की तुलना में स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग पर फोकस करने के 3 मुख्य कारण हैं
1-मसल्स एट्रोफी का हाई रिस्क
यंग महिलाओं को युवा पुरुषों की तुलना में सरकोपेनिया या मसल्स लॉस का बहुत अधिक खतरा होता है. यह महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के निम्न स्तर के कारण होता है. यह लोअर मसल्स मास दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को जिनमें ताकत और समन्वय की जरूरत होती हैं उन्हें और ज्यादा मुश्किल बना सकता है.
2- ऑस्टियोपोरोसिस का अधिक खतरा
उम्र के साथ, महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपेनिया का अधिक खतरा होता है अगर वे स्ट्रेंग्थ ट्रेन नहीं करती हैं. यदि जल्दी ही इस और ध्यान नहीं दिया जाता है, तो यह हड्डियों को कमजोर कर कई और समस्याएं पैदा कर सकता है. इसलिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो सकता है.
3- मस्कुलोस्केलेटल चोटों का ज्यादा रिस्क
क्योंकि महिलाएं स्वाभाविक रूप से कम मांसपेशियों को अपने ऊपरी हिस्से में ले जाती हैं, इसलिए उन्हें गर्दन, कंधे और पीठ के निचले हिस्से में अधिक चोट लगती है, जो शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोटों की वजह बन सकती है.
इन सबसे बचने के लिए महिलाओं को खासतौर पर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर फोकस करना चाहिए.
ये भी पढ़ें
Health Tips: पैट में गैस की समस्या से हैं परेशान तो आज ही छोड़ दें ये 4 आदतें
Health Tips : गला खराब होने पर करें गरारे लेकिन इन बातों का जरूर रखें ख्याल
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )