Motion Sickness: बड़ी गाड़ियों में क्यों ज्यादा होती हैं उल्टियां? इन उपायों से तुरंत मिलेगा आराम
सफर के दौरान आपने अक्सर ये बात गौर की होगी कि कुछ लोगों को उल्टी और जी मिचलाने की समस्या होने लगती है. जानिए इससे आप कैसे छुटकारा पा सकते हैं.
Motion Sickness: अगर आप वेकेशन में पहाड़ों पर जाने की सोच रहे हैं तो आपको उल्टियों का डर जरूर सताता होगा. अक्सर ये देखा जाता है कि पहाड़ों में लोगों को मोशन सिकनेस की समस्या होती है. इसके चलते उन्हें उल्टियां, सिर दर्द और जी मचलने की शिकायत होने लगती है. दूसरी तरफ ये भी देखा जाता है कि छोटी गाड़ियों के मुकाबले बड़ी गाड़ियों में मोशन सिकनेस की समस्या ज्यादा आती है. दरअसल, बड़ी गाड़ियों में मोशन सिकनेस की समस्या इसलिए ज्यादा आती है क्योंकि इसमें वेंटिलेशन छोटी गाड़ियों के मुकाबले सही तरीके से नहीं हो पाता. वेंटिलेशन न होने की वजह से शरीर के हिस्सों को अलग-अलग सिग्नल मिलते हैं. साथ ही हमारा दिमाग स्पीड, इमेज और साउंड में होने वाले संकेतों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता जिसके चलते जी घबराने, चक्कर और उल्टी आने जैसे चीजें होती हैं.
छोटी गाड़ियों में क्योंकि वेंटीलेशन बड़ी गाड़ियों के मुकाबले अच्छा होता है इसलिए मोशन सिकनेस की समस्या यहां कम हो जाती है. जब हमारे दिमाग को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है तो मांसपेशियां सही तरीके से काम करती हैं और दिमाग शांत रहता है. बता दें उल्टी आने में पेट से ज्यादा अहम रोल आंखों और मस्तिष्क का होता हैं.
उल्टी के पीछे मस्तिष्क का अहम रोल
हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखने में भीतरी कान में मौजूद तरल पदार्थ बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. जब हम सफर कर रहे होते हैं या गतिशील होने की स्थिति में ये तरल पदार्थ मस्तिष्क को लगातार सिग्नल भेजता है. मस्तिष्क को प्राप्त होने वाले इन सिंगल के आधार पर ही चलने और बैठने के दौरान शरीर का संतुलन बना रहता है.
क्यों आती है उल्टी
आंखें भी हमारे मस्तिष्क को दृश्य संबंधी सिग्नल भेजती हैं. जब हम बस या कार में सफर कर रहे होते हैं तो हमारा शरीर हिचकोले लेता है और अनिश्चित रूप से हिलता है. जबकि, इस दौरान हमारी आंखें बस या कार के अंदर का स्थिर दृश्य देख रही होती हैं. आंख और कान के तरल पदार्थ द्वारा मस्तिष्क को भेजे गए असंतुलित सिग्नलों के कारण दिमाग कंफ्यूज हो जाता है और इस स्थिति में हमारा मस्तिष्क इस संदेश को किसी जहर की तरह समझता है और हमारे वोमिटिंग सेंटर को उल्टी करवाने का संदेश देता है.
फिर उनका क्या जो कान नहीं सुनते
दरअसल, जो लोग कान सुनने में असमर्थ होते हैं उनको मोशन सिकनेस की समस्या बेहद कम आती है क्योंकि उनका दिमाग सिर्फ आंखों से प्राप्त सिग्नल को ही प्राप्त करता है और सिग्नल में कोई असंतुलन नहीं बनता. इस बात का ध्यान रखें कि सफर के दौरान होने वाली उल्टी हमारे पेट से नहीं बल्कि मस्तिष्क से जुड़ी हुई है.
ऐसे करें मोशन सिकनेस की समस्या दूर
-पर्याप्त मात्रा में पानी और दूसरी लिक्विड की चीजें पीने से बॉडी हाइड्रेटेड रहती है और इससे मोशन सिकनेस से निपटने में मदद मिलती है. डिहाइड्रेशन की वजह से मोशन सिकनेस की समस्या बढ़ने लगती है.
-सफर के दौरान अपने साथ एक नींबू रखें. नींबू को चाटते या सूंघते रहने से यह हमारे पेट के एसिड को बेअसर कर देता है जिससे उल्टी की समस्या नहीं आती. नींबू की तेज और खट्टी खुशबू मोशन सिकनेस के लक्षणों से राहत दिलाती है. ऐसे लोग जिन्हें पेट्रोल और डीजल की बदबू से भी समस्या होती है उनके लिए भी नींबू अच्छा ऑप्शन है.
-यात्रा करने से पहले कभी भी ज्यादा मसालेदार खाना ना खाएं. ऐसा इसलिए क्योंकि मसालेदार खाने को पचाने में समय लगता है और सफर के दौरान इससे आपको जी मिचलाने की परेशानी हो सकती है. इसलिए सफर में जाते वक्त हल्का भोजन करें जो आसानी से पच जाए.
-सफर में अपने पास अदरक का टुकड़ा जरूर रखें. दरअसल, अदरक में मौजूद जिंजरोल मोशन सिकनेस के लक्षणों को कम करता है जिससे सफर में उल्टी नहीं आती.
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