Seizure Attack: ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (AIIMS) के रिसर्चर्स की एक स्डडी के मुताबिक, ज्यादा फैट और कम कार्बोहाइड्रेट वाले संशोधित 'एटकिन्स आहार' और मेडिसिन लेने से मिर्गी से पीड़ित लोगों में दौरे की परेशानी काफी हद तक कम हो सकती है. रिसर्च के मुताबिक, संशोधित एटकिन्स आहार, एटकिन्स आहार और कीटोजेनिक आहार का कॉम्बिनेशन है, जिसमें सोया उत्पाद, क्रीम, तेल और मक्खन, हरी पत्तेदार सब्जियां और अंडे, चिकन, मछली और बेकन सहित एनिमल प्रोटीन जैसे फूड आइटम शामिल हैं. रिसर्चर्स ने कहा कि कीटोजेनिक आहार मिर्गी के दौरे को कम करने में प्रभावी तो दिखाया गया है. हालांकि इससे जुड़े परहेज का पालन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है.
दिल्ली स्थित AIIMS से जुड़े मंजरी त्रिपाठी कहती हैं कि मिर्गी से पीड़ित ऐसे मरीज जिन पर दवा असर नहीं कर रही है या जो मिर्गी के दौरे को कम करने के लिए प्रभावी इवाज खोजने में असमर्थ रहे हैं, उनके लिए यह देखना एक्साइटमेंट से भरा है कि लाइफस्टाइल में बदलाव को, मिर्गी के दौरों की संख्या को कम करने के लिए स्टैंडर्ड ड्रग थेरेपी के साथ जोड़ा जा सकता है. जर्नल 'न्यूरोलॉजी' में पब्लिश इस स्टडी की राइटर मंजरी कहती हैं कि हमारी स्टडी ने यह पाया है कि इस कॉम्बिनेशन से दौरों की आशंका काफी कम हो सकती है.
इस स्टडी में 160 वयस्कों और 18 साल से कम उम्र के लोगों को शामिल किया गया था. इन्हें औसतन 10 साल से अधिक समय से मिर्गी की समस्या थी. दौरे रोकने की चार दवाओं की खुराक लेने के बावजूद इन लोगों को हर महीने कम से कम 27 बार मिर्गी के दौरे पड़ते थे. उन्हें बिना किसी निर्धारित क्रम के या तो सिर्फ स्टैंडर्ड ड्रग थेरेपी लेने या दवा और 6 महीने में संशोधित एटकिन्स आहार हासिल करने के लिए कहा गया था. स्टडी में शामिल लोगों ने अपने मिर्गी के दौरे और भोजन का विवरण दर्ज किया.
26 प्रतिशत लोगों ने किया पालन
उन्हें आहार सूची, सैंपल मेनू और व्यंजन बनाने की विधि दी गई. कार्बोहाइड्रेट का सेवन रोजाना 20 ग्राम तक सीमित रखा गया था. अमेरिकी संघीय आहार दिशानिर्देश रोजाना 225 और 325 ग्राम कार्ब्स के बीच की सलाह देता है. 6 महीनों के बाद रिसर्चर्स ने यह पाया कि जिन 26 प्रतिशत लोगों ने दवा और संशोधित एटकिन्स आहार का पालन किया, उनमें केवल दवा लेने वाले लोगों के मुकाबले मिर्गी के दौरों में 50 प्रतिशत से ज्यादा की कमी देखी गई. सिर्फ दवा लेने वाले लोगों में तीन प्रतिशत कमी देखी गई. रिसर्चर्स ने पाया कि आहार समूह में चार लोग स्टडी के आखिर तक मिर्गी के दौरों से मुक्त थे. जबकि सिर्फ दवा लेने वाले समूह में कोई भी दौरे की परेशानी से मुक्त नहीं था. इस स्टडी के दौरान 6 महीने में जीवन की गुणवत्ता और दुष्प्रभावों को भी देखा गया.
रिसर्चर्स ने कहा कि जिस समूह ने मेडिसिन के साथ संशोधित एटकिन्स आहार का पालन किया, उनमें केवल मेडिसिन लेने वाले समूह की तुलना में सभी क्षेत्रों में सुधार देखा गया. रिसर्चर्स ने स्टडी में इस बात को भी एक्सेप्ट किया कि मिर्गी के दौरों के बारे में मरीज या उनकी केयर करने वालों की ओर से जानकारी दी गई, इसलिए ऐसा हो सकता है उनमें से कुछ की सूचना बिल्कुल नहीं दी गई होगी.
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