ज्यादातर कंपनियों में अभी हफ्ते में 5 डे वर्किंग का नियम है. हालांकि कई जगह ऐसी हैं, जहां अब भी कर्मचारियों से हफ्ते में छह दिन काम लिया जाता है. अब दुनिया आगे बढ़ चली है. समय बदल चुका है. अब मांग हो रही है कि हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम करने की पॉलिसी लायी जाए. भारत में भी 4 दिन वर्किंग के लिए लेबर कोड (श्रम कानून) में बदलाव किया गया है लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है. पिछले दिनों वर्ल्ड इकोनॉमिक फॉर्म (World Economic Forum) के मंच पर ये मुद्दा बखूबी उठा. बड़े-बड़े दिग्गजों ने कहा कि, दुनिया को बचाना है, लोगों की हेल्थ को बचाना है, लोगों को मानसिक रोगी बनने से बचाना है तो 4 दिन वर्किंग और 3 दिन छुट्टी का फॉर्मूला लागू करना ही होगा. इतना ही नहीं, उन कंपनियों के उदाहरण भी दिए गए जिन्होंने ये मॉडल लागू किया और उन्हें कमाल के नतीजे मिले.
5 दिन वर्किंग वाले का रिव्यू हो
साल 1926 में पहली बार फोर्ड मोटर कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने अपनी कंपनी में 5-डे वर्किंग की शुरुआत की थी. उनका मानना था कि ऐसा करने से उनके कर्मचारी ज्यादा प्रोडक्टिव (आउटपुट) बनेंगे. इसके साथ ही लोगों के पास समय होगा तो वो अपने पैसे भी खर्च कर सकेंगे. इस बात को कोर्ट करते हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक फॉर्म (World Economic Forum) के मंच से एडम ग्रांट (ऑर्गेनाइजेशनल साइकोलॉजिस्ट एंड ऑथर) ने कहा कि, 'करीब 100 साल पहले जिस वक्त हेनरी फोर्ड ने अपनी कंपनी और लोगों की जरूरत को समझते हुए 5डे वर्किंग का फॉर्मूला दिया, उसे अब 100 साल बाद रिव्यू करने की जरूरत है. आखिर अब हम 5डे वर्किंग पर क्यों अटके पड़े हैं? इस मुद्दे पर बात करने और दोबारा सोचने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कई देशों में कंपनियां इस पर काम कर रही हैं, लेकिन इस पर और ज्यादा बात होनी चाहिए.
ये हमारी धरती के लिए जरूरी
सामाजिक कार्यकर्ता हिलेरी कॉटम का मानना है कि हमें इंसानों से भी आगे अपनी धरती के बारे में सोचना होगा. इस एक रिसर्च का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि काम के दिन काम होंगे तो हम घर से कम निकलेंगे, जिससे पॉल्यूशन कम होगा. लोग अपने परिवार को ज्यादा समय दे सकेंगे.
जापान में 2019 में माइक्रोसॉफ्ट ने एक हफ्ते में 4डे वर्किंग की शुरुआत की थी उसके कमाल के नतीजे आए थे. उनकी इलेक्ट्रिसिटी की खपत 23 प्रतिशत कम हो गई थी. प्रिंटर पेपर की खपत में 59 प्रतिशत की कमी आई.
काम करने की झमता बढ़ती है और अच्छे नतीजे मिलते हैं
UAE की मंत्री ओहूद बिन खलफान अल रूमी ने कहा कि पिछले साल UAE के सरकारी दफ्तरों में 4.5 डे वर्किंग का नियम लागू किया गया था. शुरुआती डेटा बेहद उत्साहजनक थे. 70 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि वो पहले से बेहतर तरीके से काम कर पा रहे हैं. हफ्ते को बेहतर तरीके से मैनेज कर पा रहे हैं और चीजों को प्रायोरटाइज कर पा रहे हैं. 55% कर्माचारियों की गैर जरूरी छुट्टियां कम हो गईं. 71 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो परिवार के साथ पहले से ज्यादा वक्त बिता पा रहे हैं.
जान बचा सकता है 4वर्किंग डे का मॉडल
WHO के एक डेटा का जिक्र करते हुए एडम ग्रांट (ऑर्गेनाइजेशनल साइकोलॉजिस्ट एंड ऑथर) ने कहा कि काफी लोग ओवरवर्किंग के शिकार हैं और ये लोगों की जान ले रहा है. इसके कारण सोसायटी बड़े पैमाने पर मेंटल हेल्थ क्राइसिस से जूझ रही है. ये क्रॉनिक डिसीज का कारण बन रहा है.
- WHO के मुताबिक हर साल 745,000 लोगों की मौत लंबे वर्किंग आवर्स के कारण हो जाती है.
- दुनियाभर की 9 प्रतिशत आबादी प्रति वीक 55 घंटे से ज्यादा काम करती है.
- वहीं 4वर्किंग डे से लोगों को अपनी जिंदगी पर बेहतर कंट्रोल मिलता है
- COVID के बाद से लोगों में फ्लेक्सिबल वर्किंग का कल्चर बढ़ा है
- इससे पर्सनल और प्रोफेसनल लाइफ का बैलेंस बना रहता है
कंपनियां जहां 4डे वर्किंग कल्चर है (Companies With 4-Day Work Weeks)
ईकोट्रस्ट कनाडा, परमानेंट, हफ्ते में 32 घंटे, देश-कनाडा
बुफेर, परमानेंट, हफ्ते में 32 घंटे, देश-अमेरिका
माइक्रोसॉफ्ट, परमानेंट, हफ्ते में 32 घंटे, देश-जापान
तोशिबा, ट्रायल बेस पर, हफ्ते में 40 घंटे, देश-जापान
शोपिफाई, सीजनल, हफ्ते में 32 घंटे, देश-कनाडा
दुनियाभर में ऐसी करीब 271 कंपनी हैं जहां हफ्ते में 4डे वर्किंग कल्चर है और चार दिन छु्ट्टी रहती है.
भारत में क्या स्थिति है?
भारत में केंद्र सरकार नया लेबर कोड ला चुकी है. हालांकि, अब तक ये लागू नहीं किया गया है. अगर ये लागू होता है तो कर्मचारियों को रोजाना 12 घंटे तक काम करना पड़ सकता है. कर्मचारियों को सप्ताह में 48 घंटे ही काम करना होगा, यानी अगर वो 1 दिन में 12 घंटे काम करते हैं तो उन्हें सप्ताह में केवल चार दिन काम करना होगा और बाकी तीन दिन उनकी छुट्टी रहेगी. केंद्र सरकार ने 44 सेंट्रल लेबर एक्ट को मिलाकर ये 4 नए लेबर कोड तैयार किए गए हैं. यहां तक कि कई कंपनियां इसकी तैयारी कर रही हैं, ताकि 4डे वर्किंग मॉडल लागू होने पर इसे अपनाया जा सके.
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