बरसात के मौसम में कई सारी बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है जैसे दमा, सांस लेने में परेशानी, पुरानी खांसी का शुरू होना, अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं ऐसी संजीवनी बूटी जो आपको अंदर से हमेशा के लिए ठीक कर देगी.
तुलसी के पत्तों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मानसून के मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद कर सकते हैं. अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं.
तुलसी का रस पिएं
ताजा तुलसी का रस पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
तुलसी के पत्ते खाएं
आप सुबह खाली पेट दो से तीन ताजा तुलसी के पत्ते चबा सकते हैं. आप अपने दैनिक आहार में 5-6 तुलसी के पत्ते भी शामिल कर सकते हैं.
तुलसी की चाय बनाएं
चाय बनाने के लिए तुलसी के पत्तों को कुछ मिनट के लिए गर्म पानी में भिगोएं. आप अपनी तुलसी की चाय में अदरक, गुड़, चीनी, लौंग, दालचीनी, काली मिर्च, काला नमक या नींबू का रस जैसी अन्य सामग्री भी मिला सकते हैं.
तुलसी का काढ़ा: तुलसी के पत्ते, अदरक, काली मिर्च, काला नमक और नींबू का रस डालकर पानी उबालें. छानकर गर्म-गर्म पिएं.
तुलसी-हल्दी का काढ़ा: तुलसी के पत्ते, हल्दी पाउडर, तुलसी के पत्ते, लौंग और दालचीनी डालकर पानी उबालें। छानकर गुनगुना पिएं और स्वादानुसार शहद मिलाएं.
तुलसी-अदरक पेय: एक गिलास पानी में तुलसी के पत्ते, अदरक, चीनी या गुड़ डालकर उबालें.
खाली पेट तुलसी पत्ता खाने से तनाव और चिंता दूर होता है. साथ ही शरीर पूरा दिन एक्टिव भी रहा है. तुलसी का पत्ता खाने से ब्लड में शुहर लेवल भी कंट्रोल करता है. साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है. इससे सूजन और जोड़ों का दर्द भी ठीक होता है. यह किसी भी तरह के इंफेक्शन को कंट्रोल करने में काफी ज्यादा अच्छा होता है.
इम्युनिटी बूस्टर होते हैं तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्ते विटामिन सी और यूजेनॉल जैसे एंटीऑक्सीडेंट का एक पावरहाउस हैं, जो शरीर की इम्युनिटी को मजबूत करते हैं. रोजाना खाने से यह कई सारी बीमारियों से बचाने में मदद करता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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