फूड एक्सपर्ट हमेशा से एकबात कहते हैं कि वैसे खाना को खाने से परहेज कीजिए जो काफी देर तक रूम टेंपरेचर में खुला रखा हुआ है. खासकर- राइस, पास्ता, ड्राई फूड आइटम,  क्योंकि इससे आपको फ्राइड राइस सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है. यह बीमारी बैसिलस सेरेस बैक्टीरिया के कारण होने वाला फूड प्वाइजनिंग है. जब खाने को काफी समय तक  फ्रीज से बाहर रखा जाता है तो इसमे बैक्टीरिया पनपने लगता है. सोशल मीडिया पर  एक बार फिर से यह सिंड्रोम चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि 15 साल पुराना मामला एक बार फिर ट्रेंड कर रहा है. 


जो लोग फ्राइड राइस सिंड्रोम की बैक्टीरिया से अवगत नहीं है उन्हें बता दें कि इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले साल 2008 की बेल्जियम में रिपोर्ट किया गया था. 'जर्नल ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी' की एक केस रिपोर्ट में कहा गया है कि एक स्टूडेंट ने पांच दिनों तक फ्रिज से बाहर रखी हुई दोबारा गर्म की हुई स्पेगेटी खा ली. उसने बाहर रखे हुए स्पेगेटी को माइक्रोवेव में दोबारा गर्म करके खाया और अगली रात मतली, सिरदर्द और पेट की परेशानी जैसे लक्षणों से उसकी मौत हो गई.


फ्राइड राइस सिंड्रोम क्या है?


हर वातावरण में मौजूद व्यापक बैक्टीरिया बैसिलस सेरेस द्वारा उत्पन्न खाद्य रोग फ्राइड राइस सिंड्रोम में बदल जाता है. कन्वर्सेशन का दावा है कि बैसिलस सेरेस एक विशिष्ट जीवाणु है जो पर्यावरण के किसी भी हिस्से में पाया जा सकता है. यदि यह अनुचित तरीके से संरक्षित किए गए कुछ पके हुए खाद्य पदार्थों में प्रवेश करता है. तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है. पास्ता और चावल जैसे स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ सिंड्रोम का केंद्र हैं. हालांकि, यह अन्य खाद्य पदार्थों, जैसे मांस व्यंजन और पकी हुई सब्जियों पर भी प्रभाव डाल सकता है. ये सूक्ष्मजीव जहर पैदा करते हैं जिनके बढ़ने की संभावना अधिक होती है जब भोजन को कमरे के तापमान पर या बिना प्रशीतन के रखा जाता है.


फ्राइड राइस सिंड्रोम के लक्षण


एक प्रकार का बैक्टीरिया जो भोजन विषाक्तता का कारण बन सकता है वह है बैसिलस सेरेस. इस बैक्टीरिया से संबंधित संक्रमण दो प्रकार के होते हैं: एक जो उल्टी का कारण बनता है और दूसरा जो दस्त का कारण बनता है. हालाँकि लक्षण आमतौर पर कुछ दिनों में दूर हो जाते हैं, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है.बैसिलस सेरेस का निदान करना कठिन है क्योंकि इसके लक्षण अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों के समान हैं.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.