Myths About Epilepsy: मिर्गी की बीमारी से आज दुनियाभर में करीब 5  करोड़ लोग जूझ रहे हैं. यह एक असंक्रामक बीमारी है जिसका इलाज तो नहीं किया जा सकता पर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. मिर्गी के मरीज अपनी बीमारी के कारण अपनी सोशल लाइफ में बहुत सी कठिनाईयों का सामना करते हैं. लोग कुछ अफवाहों के कारण उनसे दूरी बनाना शुरू कर देते है. इसी सोच को बदलने के लिए हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है. साथ ही नवंबर में महीने भर मिर्गी के मरीजों को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है. लोगों ने इस बीमारी को लेकर बहुत सारे मिथ्स बनाए हैं. चलिए उन मिथ्स को बर्स्ट करते हैं और आपको खबर के जरिए कुछ फैक्ट्स बताते हैं.

 

मिर्गी की बीमारी को लेकर मिथ 

1. संक्रामक है बीमारी 

कुछ लोगों का मानना है कि मिर्गी एक संक्रामक रोग है जबकि ऐसा नहीं है . मिर्गी एक असंक्रामक बीमारी है. यह एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलती है. इसकी पुष्टि खुद WHO ने की है.

 

2. भूत प्रेत के लगने से होती है बीमारी 

गांव के लोगों को आज भी लगता है कि मिर्गी शरीर में भूत प्रेत के लगने से होती है जबकि ऐसा नहीं है. मिर्गी एक मेडिकल कंडीशन है जो दिमाग में हुए शार्ट सर्किट की वजह से होती है.

 

3. आम जिंदगी नहीं बिता सकता मिर्गी का मरीज 

यह लोगों के बीच एक भ्रम है. मिर्गी का मरीज एक आम जिंदगी आसानी से जी सकता है. वो अपनी डेली लाइफ के कामों को भी आसानी से कर सकता है. इससे पीड़ित मरीजों को स्वीमिंग और ड्राइविंग से परहेज करना  चाहिए.

 

4. दौरा पड़ने पर मुंह में डाले चम्मच या उगंली 

दौरा पड़ने पर मुंह में चम्मच या उंगली डालना बिल्कुल गलत है. इससे आपके मुंह को नुकसान पहुंच सकता है. जूता सूंघाने वाली बात भी एक मिथ ही है. इन सब चीजों को छोड़कर मरीज का सही इलाज कराएं और उनका सपोर्ट बनें. 

 

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