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Parkinson Disease: अक्सर रहती है कब्ज की समस्या तो हो सकती है पार्किंसंस की गंभीर बीमारी, स्टडी में हुआ खुलासा

जिन लोगों में काफी ज्यादा गैस, कब्ज, अल्स या एसोफेगस, छोटी के ऊपरी हिस्से की डैमेज परत वालों में पार्किंसस की बीमारी काफी ज्यादा होती है.

एक नए रिसर्च के मुताबिक फूड पाइप या पेट में अल्सर या कब्ज की समस्या या फिर कहें कि पाचन से संबंधित दिक्कत है तो 76 प्रतिशत चांसेस है कि आपको आने वाले टाइम में पार्किंसंस की बीमारी हो सकती है. यह रिसर्च 9,350 मरीजों की एंडोस्कोपी रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है. जिसमें साफ कहा गया है कि जिन लोगों में काफी ज्यादा गैस, कब्ज, अल्स या एसोफेगस, छोटी के ऊपरी हिस्से की डैमेज परत वालों में पार्किंसस की बीमारी काफी ज्यादा फैलती है.  जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन नेटवर्क ओपन रिसर्चर्स में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक उम्र बढ़ने से न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी आंत में ही शुरू होती है. न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों में अक्सर गैस की समस्या देखी गई है. 

दो दशक पहले ही दिखने लगते हैं लक्षण:

अमेरिका के बेथ इजराइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर के रिसर्चर ने कहा कि पार्किंसंस के मरीजों में लक्षण काफी साल पहले से ही दिखाई देने लगते हैं. उनमें गैस की समस्या, हाथों या पैरों में कंपन या अकड़न जैसे लक्षण दो दशक पहले से ही दिखाई देने लगते हैं. जिसके कारण चलने-फिरने में दिक्कत हो सकती है. आमतौर पर यह डायग्नोस का आधार होती हैं.

गैस्ट्रोइंटेस्टिनल प्रोब्लम्स के लक्षण

पाचन संबंधी समस्या, पेट ठीक से साफ नहीं होना, लार टपकना. निगलने में दिक्कत, पेट का देर से खाली होना. यह सभी पार्किसंस के लक्षण हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि आंत और पार्किंसंस की बीमारी के बीच खास कनेक्शन है. से एक डोपामाइन को रेगुलेट करने में समस्या हो सकती है. ये एक मस्तिष्क रसायन है जो पाचन में बड़ी भूमिका निभाता है.

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पार्किंसंस बीमारी में शरीर के अंदर होता या ये

पार्किंसंस बीमारी में शरीर के मांसपेशियों में मैसेज भेजने वाले न्यूरॉन्स कमजोर पड़ने लगते हैं. एक समय के बाद यह काफी ज्यादा खतरनाक रूप ले लेते हैं. यह बीमारी मांसपेशियों के कंट्रोल, बैलेंस और एक्टिविटी को काफी ज्यादा हद तक बुरा असर डालता है. जिसके कारण सोचने, समझने की शक्ति एकदम खत्म हो जाती है. आम बोलचाल की भाषा में यह कह सकते हैं कि यह दिमाग पर काफी ज्यादा बुरा असर डालता है. 

इस बीमारी में डोपामाइन केमिकल की शरीर में कमी होने लगती है
60 साल की उम्र के बाद यह बीमारी अक्सर शुरू हो जाती है. हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह बीमारी ज्यादा होती है. यह एक दिमाग से जुड़ी बीमारी है. इस बीमारी में डोपामाइन नाम का केमिकल की शरीर में कमी होने लगती है. जिसके कारण शरीर में एक्टिविटीज स्लो होने लगते हैं. इसके साथ ही शरीर में कंपन होने लगता है. यह बीमारी डिमेंशिया और डिप्रेशन से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. 

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पार्किंसंस रोग के लक्षण होते हैं

मांसपेशियों में लगातार कंपन होना

शरीर के अंगों को हिलाने में दिक्कत होना

शरीर में बैलेंस नहीं मिलना

आंखों को झपकाने में दिक्कत होना

ऐंठन होना

मुंह से लार टपकना

निगलने में परेशानी होना

आवाज का धीमा होना

कौन-कौन से इलाज हैं

गंभीर मामलों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (मस्तिष्क के एक हिस्से में वाइबरेशना पहुंचाने का काम किया जाता है) सर्जरी भी की जा सकती है. दवाओं में डोपामाइन, डोपामाइन जैसा असर करने वाली दवाएं, शरीर में डोपामाइन के टूटने को रोकने वाली दवाएं दी जा सकती हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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