मशहूर मॉडल काइली जेनर और सिंगर रिहाना से लेकर एरियाना ग्रांडे और कार्डी बी तक, मशहूर हस्तियां अपने खास तरह की नेल्स, नेल्स कलर्स और नेल्स पर बनी डिजाइन को लेकर सुर्खियों में छाई रहती हैं. नेल फैशन एक उभरता हुआ इंडस्ट्री है जिसमें जैल मैनीक्योर और ऐक्रेलिक नाखून का यंग लड़के-लड़कियों के बीच काफी क्रेज है.
आजकल सिर्फ लड़कियां, मॉडल ही नहीं बल्कि लड़कों के बीच भी नेल्स फैशन का क्रेज बढ़ा है. नेल्स डिजाइनिंग एक ऊभरती हुई इंडस्ट्री है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मैनीक्योर जो एक तरह से खुद की देखभाल की तरह लगता है. लेकिन ऐक्रेलिक नाखून और नेल्स फैशन के कारण आपको कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है.
नेल्स ऐक्रेलिक में इस्तेमाल की जाने वाली गोंद से हो सकता है कैंसर
दरअसल, ऐक्रेलिक करवाने के दौरान जो नेचुरल नेल्स में गोंद लगाकर उनमें प्लास्टिक नेल्स को जोड़ा जाता है. इसमें जो गोंद इस्तेमाल होते हैं वह आमतौर पर अल्कोहल, साइनोएक्रिलेट और फोटो-बॉन्ड मेथैक्रिलेट से बने लिक्विड होते हैं. जिसमें फॉर्मेल्डिहाइड सहित अन्य तत्व होते हैं. जो एक खास तरह के कैंसर का कारण बन सकता है. अगर आप बार-बार ऐक्रेलिक नेल्स करवाते हैं तो इसमें इस्तेमाल की जाने वाली गोंद में पाई जाने वाली केमिकल्स के कारण त्वचा में जलन और सूजन हो सकते हैं.
कुछ मामलों में देखा गया है कि यह केमिकल्स इतने ज्यादा खतरनाक होते हैं कि अगर यह आपके कपड़े पर गिर जाए तो त्वचा तक जला देगी. जिसके बाद आपको स्किन इंफेक्शन भी हो सकती है. लंबे समय तक जैल और ऐक्रेलिक लगाए रखने से सोरायटिक नाखून भी हो सकते हैं. जहां नाखून क नीचे अतिरिक्त त्वचा - जिस हाइपरकेराटोसिस के रूप में जाना जाता है.
इसके कारण नेल्स सोरायसिस की लाल और पपड़ीदार स्किन होने लगती है है. यह सोरियाटिक नाखूनों वाले कई मैनीक्योर मिथाइल मेथैक्रिलेट से एलर्जी के लिए जिम्मेदार होते हैं.कुछ मामलों में एलर्जी इतनी गंभीर हो सकती है कि इससे नाखूनों को हमेशा के लिए जला दे. इसके कारण कुछ लोगों को उंगलियों में झुनझुनी या सुन्नता भी हो जाती है.
त्वचा कैंसर का एक कारण?
ऐसे कई कारक हैं जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं. जिनमें उम्र, त्वचा का प्रकार, शरीर के अंदर कई तरह के हार्मोनल चेंजेज और पारिवारिक इतिहास शामिल हैं. हालांकि, त्वचा कैंसर के ऐसे मामले हैं जिनमें यूवी नेल लैंप की भूमिका बताई गई है.
जैल नाखूनों के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रायर में यूवीए रेज होते हैं. जिससे पराबैंगनी लाइट निकलती है और यह हेल्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. जो जैल को कठोर पॉलिमर में परिवर्तित करके सख्त कर देते हैं. चूंकि अधिकांश लोग अपने नाखूनों की हर कुछ हफ्तों में सफाई कराते हैं - और इसे सख्त होने में लगभग दस मिनट लगते हैं. जिससे यूवीए एक्सपोज़र काफी बढ़ जाता है.
हाथों का पिछला हिस्सा शरीर के सबसे यूवी-प्रतिरोधी हिस्सों में से एक हो सकता है. लेकिन यह कपड़ों से ढका हुआ नहीं होता है. और यह सबसे आम जगहों में से एक है जहां लोग सनस्क्रीन लगाना भूल जाते हैं. यदि हाथों पर सनस्क्रीन लगाया जाता है तो इसे दोबारा लगाए बिना अक्सर धोना चाहिए. अगर आप जैल ऐक्रेलिक अक्सर करवाते हैं तो आपको इसे लगाने से 30 मिनट पहले एक अच्छी क्वालिटी की सनस्क्रीन जरूर लगाना चाहिए. इससे यूवीए एक्सपोज़र कम होता है.
कमजोर, भुरभुरे, सूखे नाखून
जैल और एक्रेलिक के लगातार इस्तेमाल के कारण जब नाखून की सफाई की जाती है तो ऑरिजनल नाखून के प्लेट के टुकड़े छिल जाते हैं या कट जाते हैं. यहां तक कि सबसे इससे नाखून की केराटिन परतों को नुकसान हो सकता है. जो नाखून को कमजोर कर सकता है. जिससे यह भुरभुरा हो सकता है. नाखून ड्राई और सुखे हो जाते हैं.
इस बीमारी को स्यूडोल्यूकोनीचिया के रूप में जाना जाता है. जब इसे हटाया जाता है उस लिक्विड में भी केमिकल होते हैं. एक्रेलिक को हटाते वक्त भी जिस लक्विड का इस्तेमाल किया जाता है उसमें एसीटोन होता है. जो नाखून और आसपास की त्वचा को ड्राई कर देती हैं. इससे ब्लड सर्कुलेशन भी काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं. नाखूनों को हटाने से दर्दनाक ओन्कोलिसिस भी हो सकता है. जिसके कारण उसमें संक्रमण हो जाता है तो उसे पैरोनिशिया के रूप में जाना जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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