नई दिल्लीः कैंसर के नाम से ही हर कोई डर जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैंसर का इलाज अब बहुत मुश्किल नहीं रह गया है. जी हां, अब कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है. हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च में पाया है कि कैंसर सेल्स को जीन थेरेपी से भी खत्म किया जा सकता है. जानिए, क्या कहती है ये रिसर्च.

क्या कहती है रिसर्च-
शोधकतार्ओं ने रिसर्च में पाया है कि जीन थेरेपी कैंसर सेल्स को मार सकती है. इस थेरेपी के जरिए मरीज में मौजूद कैंसर सेल्स को ब्लड सेल्स में बदला जा सकता है. रिसर्च के दौरान मरीजों को 6 महीने का ट्रीटमेंट दिया गया जिसमें तकरीबन एक तिहाई मरीजों में लिंफोमा कैंसर का एक भी साइन देखने को नहीं मिला.

जबकि 82% ऐसे मरीज थे जिनमें कैंसर के सेल्स कम देखे गए यानि इन मरीजों में आधे से अधिक कैंसर सेल्स सिकुड़ गए. कैलिफोर्निया बेस्ड फार्मा काइट पहली ऐसी कंपनी है जिसे इस ट्रीटमेंट को करने का अप्रूवल मिला जिसे यूएस CAR-T सेल थेरेपी के नाम से जाना जाता है.

क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट-
येल कैंसर सेंटर के चीफ कैंसर मेडिसिन के डॉ. और इस रिसर्च के प्रमुख शोधकर्ता रॉय हर्बस्ट का कहना है कि इस रिसर्च में चिंता की बात ये है कि काइट ट्रीटमेंट कब तक दिया जाए और इसके क्या साइड इफेक्ट्स हैं. इस पर अभी रिसर्च होना बाकी है.

मौत भी हो सकती है इस थेरेपी में-
आपको जानकर हैरानी होगी कि ये थेरपी बहुत ज्यादा सेफ नहीं है क्योंकि रिसर्च के दौरान 101 पेशेंट में से 3 पेशेंट की डेथ हो गई. इन की डेथ का कारण ये थेरेपी नहीं बल्कि कैंसर की आखिरी स्टेज थी और दो लोगों की डेथ टीट्रमेंट की वजह से हुई.

कैसे किया जाता है ट्रीटमेंट-
इस ट्रीटमेंट के दौरान पेशेंट के ब्लड को फिल्टर किया जाता है और इसमें से टी-सेल्स को रिमूव कर दिया जाता है. इसमें से जीन के जरिए कैंसर सेल्स को टारगेट किया जाता है इसके बाद इन सेल्स को दोबारा नसों के जरिए शरीर में डाल दिया जाता है. डॉक्टर्स इसे लिविंग ड्रग के नाम से भी जानते है.

इस ट्रीटमेंट के 6 महीने बाद 41 फीसदी लोगों में कैंसर सेल्स सिकुड़ गए और 36 फीसदी में कैंसर के कोई साइन नजर नहीं आएं.