कुछ लोगों में पैर हिलाने की आदत काफी गंभीर होती है. ऐसे लोग घर हो या ऑफिस कहीं पर भी बैठकर पैर हिलाने लगते हैं. रात को सोते वक्त या ऑफिस में काम करते वक्त हमेशा पैर हिलाते रहते हैं. ज्यादातर लोगों को यह बिल्कुल पता नहीं होता है कि आखिर में ऐसा होता क्यों हैं? दरअसल, आपको जानकर हैरानी होगी कि पैर हिलाने की समस्या आदत नहीं बल्कि एक गंभीर बीमारी का संकेत देती है. 


एंग्जायटी डिसऑर्डर के कारण


कुछ लोग एंग्जायटी डिसऑर्डर से परेशान होते हैं. इसलिए जब भी वह किसी बात को लेकर सोचते हैं या परेशान रहते हैं तो वह पैर हिलाने लगते हैं. ऐसे लोगों को डॉक्टर से तुरंत बात करनी चाहिए और वक्त रहते इलाज करवाना चाहिए.


रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम 


रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम की समस्या तब होती है जब व्यक्ति का मसल्स कंट्रोल से बाहर चला गया हो और वह खुद से काम कर रहा है. इस दौरान अक्सर लोगों के पैरों में बैचेनी होती है. 


डायबिटीक न्यूरोपैथी


डायबिटीक न्यूरोपैथी वाले लोग हमेशा पैर हिलाते नजर आते हैं. जब किसी व्यक्ति का डायबिटीज कंट्रोल में नहीं रहता है और हाई ब्लड शुगर के कारण उसके नसें काम करना बंद कर देती है तो वह बैचेनी में पैर हिलाता है. 


पार्किंसंस की बीमारी
पार्किंसंस की बीमारी में इंसान का नर्वस सिस्टम या कहें नर्व्स काफी इफेक्टिव हो जाती है जिससे लोगों के शरीर में कुछ बेकाबू मूवमेंट्स होते हैं.पैरों का हिलाना पार्किंसंस बीमारी का संकेत देती है.हाथ और पैरों में अकड़न रहती है इसलिए व्यक्ति लगातार पैर हिलाता हुआ नजर आता है. 


महिलाएं अगर पैर हिलाती है तो आयरन की कमी है


रात में सोते वक्त जो लोग पैर हिलाते हैं. यह अक्सर डायबिटीज के मरीज करते हैं. वहीं कुछ दूसरे लोग भी इस परेशानी का शिकार होते हैं. ये रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कारण होता है. ये रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कारण ज्यादातर लोग सोते वक्त भी पैर हिलाते हैं. यह शरीर में विटामिन और मिनरल्स के कमी के कारण भी होता है. अगर महिलाएं पैर हिलाती हैं तो उनमें आयरन की कमी के कारण ये आदत होती है. कुछ दूसरे लोगों में यह विटामिन के कारण होती है. 


बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा


एक्सर्ट्स के मुताबिक पैर हिलाने की वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति नींद आने से पहले 200 से 300 बार अपना पैर हिला चुका होता है. इसकी वजह से ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन भी बढ़ जाती है. आगे चलकर यह एक गंभीर बीमारी  कार्डियोवस्कुलर डिजीज का रूप ले लेती है.


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