जब भी आप किसी बीमारी को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर सबसे पहले आप से पूछते हैं कि आपके घर में किसी को यह बीमारी पहले हुई है या नहीं?दिल की बीमारी होने में कई सारे फैक्टर के अलावा एक जेनेटिक कारण हो सकते हैं. आज हम दिल की बीमारी का जेनेटिक कनेक्शन के बारे में विस्तार से बात करेंगे. जब परिवार के सदस्य जीन के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में गुण जाते हैं. तो उस प्रक्रिया को जेनेटिक कारण कहा जाता है.
हाई बीपी, दिल की बीमारी और अन्य संबंधित स्थितियों में कुछ भूमिका निभाते हैं . यह भी संभावना है कि हृदय रोग के पारिवारिक इतिहास वाले लोग समान वातावरण और अन्य कारकों को साझा करते हैं जो उनके जोखिम को बढ़ा सकते हैं. हृदय रोग का जोखिम तब और भी बढ़ सकता है जब आनुवंशिकता अस्वास्थ्यकर जीवनशैली विकल्पों, जैसे कि सिगरेट पीना और अस्वास्थ्यकर आहार खाना, के साथ मिलती है.
परिवार में बीमारी है तो आप अपनी लाइफस्टाइल को ठीक करके रोक सकते हैं
यह विचार कि सिर्फ़ इसलिए कि आपके परिवार में कोई बीमारी चली आ रही है, इसका मतलब है कि आपको भी यह बीमारी है और आप इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते, पूरी तरह से काल्पनिक है. दिल के दौरे को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर कई जोखिम कारकों को दूर रख सकते हैं. यह सच है कि आनुवंशिकी भी तस्वीर का एक हिस्सा है और इससे आपको दिल का दौरा पड़ने का ज़्यादा जोखिम हो सकता है. हालांकि, आहार, व्यायाम और धूम्रपान करने के मामले में जीवनशैली के विकल्प ज़्यादा भूमिका निभाते हैं.
Myth : अगर मेरी फैमिली में किसी को हार्ट डिजीज नहीं है तो इसका मतलब मैं सेफ हूं
Fact : हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर परिवार में किसी को भी दिली की बीमारियां हैं तो उनमें इसका जोखिम ज्यादा रहता है लेकिन कई लोगों में बिना फैमिली हिस्ट्री के भी हार्ट की प्रॉब्लम्स होती हैं. हार्ट डिजीज का जोखिम हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, धूम्रपान, मोटापा, तनाव और फिजिकल एक्टिविटी न होने से हो सकता है.
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Myth : अगर मेरे माता-पिता को दिल की बीमारी है तो मैं भी खतरे में हूं
Fact : हार्ट स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि यह पूरी तरह झूठ है. फैमिली हिस्ट्री होने के बावजूद लाइफस्टाइल में बदलाव से हार्ट डिजीज का रिस्क कम किया जा सकता है. हेल्दी डाइट, फल-सब्जियों का ज्यादा सेवन, नियमित तौर पर वर्कआउट दिल की बीमारियों को दूर रख सकता है.
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Myth : मेरी उम्र 30 साल ही है, इसलिए मुझे हार्ट अटैक-स्ट्रोक नहीं पड़ेगा
Fact : 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को दिल का दौरा पड़ना काफी आम होता जा रहा है लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि हाल ही के साल में कम उम्र वाले भी इसकी चपेट में आए हैं. भारत में हर 4 में से एक हार्ट अटैक 40 साल से कम उम्र वालों को हो रहा है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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