Health Tips: बढ़ती उम्र में कब्ज़ और मोटापे से हैं परेशान तो जानिये कारण और अपनाएं ये उपाय
Health Tips: एक खराब मेटाबोलिज्म शरीर में वेस्ट प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ाता है जो अपच, सीने में जलन, गैस, कब्ज, मोटापा और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा पैदा करता है. खराब मेटाबोलिज्म लिवर और किडनी के कामकाज को भी प्रभावित करता है. इसलिए आज हम आपको कुछ बेहद सरल और असरदार उपाए बताएंगे.
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Health Tips: अक्सर लोग कब्ज़ और मोटापे की समस्या से बेहद परेशान रहते हैं. इस बीमारी से निपटने के लिए ना जाने क्या क्या तारीके अपनाते हैं, कितने ही डॉक्टर्स के चक्कर काटते काटते थक जातें, दवाइयों में पानी की तरह पैसा बहाते हैं मगर सिर्फ और सिर्फ निराशा ही हाथ आती है. ऐसा इसलिए क्योंकि लोग कब्ज़ और मोटापे की समस्या के पीछे की जड़ तक पहुँचने के बजाये ऊपरी तौर पर ही उसका इलाज करने में जुटे रहते हैं. दरअसल, बढ़ती उम्र में कब्ज़ और मोटापे का मुख्य कारण होता है खराब मेटाबोलिज्म. एक खराब मेटाबोलिज्म शरीर में कई सारी बीमारियों को पनपाता है.
खराब मेटाबोलिज्म की वजह से शरीर में वेस्ट प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ जाती है जिसके चलते अपच, सीने में जलन, गैस, कब्ज, मोटापा और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी पैदा हो जाता है. इतना ही नहीं, खराब मेटाबोलिज्म लिवर और किडनी के कामकाज को प्रभावित करने का काम भी करता है. इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि आप अपने मेटाबोलिज्म को ठीक रखें. एक अच्छा मेटाबोलिज्म शरीर के लिए काफी गुणकारी होता है और आपके शरीर को बीमारियों से बचाने में ये किसी अमृत की तरह ही काम आता है.
अच्छा मेटाबोलिज्म न सिर्फ कैलोरी को तेज़ी से पचाने में मदद करता है, बल्कि वजन घटाने में भी असरदार है. आप अपने मेटाबोलिज्म को कई तरीकों से बढ़ावा दे सकते हैं. जैसे ठंडा पानी पीना, अधिक प्रोटीन लेना, भारी चीजें उठाना और बहुत हैवी वर्कआउट करना आदि. इससे पहले की हम आपको मेटाबोलिज्म तेज़ और अच्छा करने के उपाय बताएं, आपको इसके धीमे या खराब होने का कारण बता देते हैं.
बढ़ती उम्र में ढलता मेटाबोलिज्म वैसे तो मेटाबोलिज्म के कमज़ोर होने के पीछे कई कारण हैं, लेकिन जो आम तौर पर सामने आता है वो है आपकी उम्र का बढ़ना. जी हाँ, बढ़ती उम्र में मेटाबोलिज्म खराब होने लगता है जिसकी वजह से कैलोरी को जलाना और भी मुश्किल हो जाता है. बढ़ती उम्र में शरीर कमज़ोर पड़ने लगता है और पहले जैसी स्फूर्ति नहीं रह जाती है. ऐसे में वज़न को संतुलित बनाए रखना कठिन हो जाता है. इसके अलावा मेटाबोलिज्म को खराब करने में आपकी दिनचर्या का अहम रोल है. खाने में फाइबर का कम होना, पानी की कमी, समय से न सोना और गलत समय पर खाना खाना आपके मेटाबोलिज्म को धीरे धीरे खराब होने के हाईएस्ट लेवल पर ले जा सकते हैं. लेकिन आपको चिंता करने की ज़रुरत नहीं क्योंकि हम जो हैं आपकी देखभाल के लिए. आज हम आपको कुछ बेहद सरल और असरदार उपाए बताएंगे जिनको अपनाने से आप बढ़ती उम्र में भी अपने मेटाबोलिज्म को अच्छा और तेज़ बनाए रख सकते हैं.
नाश्ते में PFC फ़ॉर्मूला को करें फॉलो अगर आप अपने चपाचय को मज़बूत बनाना चाहते हैं तो उसके लिए ज़रूरी है PFC फ़ॉर्मूला यानी कि प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट का संतुलित सेवन. प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट पोषण के वो तीन ज़रूरी स्तंभ हैं जिन्हें हर भोजन में होना चाहिए. खाने में इन तीनों का संतुलित मिश्रण ब्लड शुगर को विनियमित करने और मेटाबोलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है. इसके अलावा खराब मेटाबोलिज्म को ठीक करने के लिए भारी प्रोटीन युक्त नाश्ता इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि प्रोटीन में अमीनो एसिड होता है जो कैलोरी बर्न करने में आपके शरीर की मदद करता है. ज़्यादा फाइबर का सेवन इसलिए करना चाहिए क्योंकि फाइबर फूड्स में शून्य-कैलोरी होटी है जो आपके पेट के स्वास्थ्य, पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है।
हर दो घंटे में कुछ खाएं दिन में अगर आप हर थोड़ी देर या हर दो घंटे में कुछ खाते हैं तो इससे आपकी भूख और खून का स्तर दोनों ही कंट्रोल में रहते हैं जिसकी वजह से मेटाबोलिज्म की तेज़ी में बढ़ोतरी होती है. स्नैकिंग समय में कुछ भी न खाना, शरीर में भुखमरी की स्थिति पैदा कर देता है जो मेटाबोलिज्म के लिए ठीक नहीं. हालांकि, लोगों का ये मानना है कि दिन में कई बार खाने से सेहत खराब होती है मगर असल में कई बार खाना आपके मेटाबोलिज्म के लिए बेहद अच्छा है.
कैलोरी का सेवन कम न करें अगर आप ये सोचते हैं कि मोटापा कम करने के लिए कैलोरी कम कर देना सही है तो ये आपके लिए घातक साबित हो सकता है. खाने में कैलोरी की मात्रा कम करने का मतलब है मेटाबोलिज्म का धीमा होना क्योंकि कम कैलोरी के चलते आपका शरीर असल में वापस लड़ता है और चयापचय को धीमा करने वाली अधिक ऊर्जा का संरक्षण करता है. इसलिए अपने कैलोरी सेवन के बारे में ज़्यादा सोचना बंद करें और शरीर की ज़रुरत के हिसाब से कैलोरी ज़रूर लें.
फैट का रखें ध्यान शरीर के लिए बिलकुल भी फैट न लेना बहुत नुकसानदायक हो सकता है. इसलिए हेल्दी फैट को चुन उसका सेवन ज़रूर करें. ये मोनोसैचुरेटेड कैलोरी में किसी भी कमी के बिना चयापचय दर में वृद्धि करते हैं.
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