ग्लूकोमा आंख से जुड़ी एक गंभीर बीमारी इसकी वजह से आंख की रोशनी भी जा सकती है. इस बीमारी में बोलचाल की भाषा में मोतियाबिंद कहा जाता है. दरअसल, इस बीमारी में आंखों की नस डैमेज होने लगती है जिसका सीधा कनेक्शन ब्रेन ससे होता है. इसी कारण ब्रेन सिग्नल देता है कि आंखें क्या देख रही है. हालांकि ग्लूकोमा कई तरह के होते हैं. आज हम इसके होने के कारणों के बारे में बात करेंगे.
ग्लूकोमा कब और क्यों होता है?
ग्लूकोमा आंख के अंदर यानी आंख की प्यूपिल यानि पुतलियों में होता है. जब आंख का ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाता है तो यह बीमारी हो जाती है. आंख के आसपास पानी भरने लगता है. पानी आंख को पोषण देता है और उसे आकार देता है, आंख से लगातार पानी निकलने लगता है.
किसी व्यक्ति को जब ग्लूकोमा की बीमारी होती है तो उसके आंखों से पानी निकलने लगता है. जब तरल पदार्थ जमा होने लगता है तो आंख के अंदर दबाव बढ़ने लगता है. यह अगर लंबे समय तक आंख के अंदर रह जाए तो इसे मैनेज करना बेहद मुश्किल है. इससे ऑप्टिक नस पूरी तरह से डैमेज हो जाता है. जिससे आंखों की रोशनी को नुकसान हो जाती है.
ग्लूकोमा के कारण
60 से अधिक उम्र वाले लोगों को अक्सर ग्लूकोमा की शिकायत होती है.
डायबिटीज के मरीजों को अक्सर ग्लूकोमा की शिकायत होती है.
आंखों में चोट लगने की वजह से भी ग्लूकोमा हो जाता है.
आंख की कोई पुरानी सर्जरी के कारण भी ग्लूकोमा की शिकायत हो सकती है
मायोपिया की वजह से भी ग्लूकोमा हो सकता है.
हाई बीपी भी इसकी एक खास वजह हो सकती है
कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा लेने से भी ग्लूकोमा हो सकता है.
ग्लूकोमा के लक्षण
आंखों का लाल होना
आंखों में तेज दर्द और खुजली
जी मिचलाना और मतली होना
अचानक से दिखाई न देना