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खुशखबरी: दिल्ली के इस अस्पताल में खुला ऑटिज्म इंटरवेंशन क्लीनिक, पीड़ित बच्चों को मिलेगा फायदा

दिल्ली के इस बड़े अस्पताल में ऑटिज्म की समय रहते पहचान और प्रबंधन करने के लिए ऑटिज्म इंटरवेंशन क्लीनिक खुला है. जानते हैं कि ऑटिज्म क्या है और इसके लक्षण क्या हैं.

Autism Intervention Centre: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बच्चों में ऑटिज्म (Autism)की पहचान के लिए ऑटिज्म इंटरवेंशन क्लीनिक (Autism intervention clinic)खुल गया है. कहा जा रहा है कि बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर यानी एसएडी की पहचान के लिए ये क्लीनिक खुला है जिसके जरिए बच्चों में इस बीमारी की समय रहते पहचान करना संभव होगा. आपको बता दें कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर एक न्यूरो डेवलपिंग सिचुएशन होती है जो बच्चों के बचपन को मुश्किलों में डाल देती है.

ऑटिज्म पीड़ित बच्चा जीवन भर के लिए मानसिक और शारीरिक विकलांगता का शिकार हो सकता है. वैश्विक स्तर की बात करें तो दुनिया में हर 36 बच्चों में एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार होता है. ये एक बड़ी तादाद है जिस पर चिंता होना स्वाभाविक है. लेकिन अगर समय रहते बच्चों में ऑटिज्म की शुरुआती जांच और देखभाल संभव हो तो ऑटिज्म पीड़ित बच्चे और उसके परिवार को काफी फायदा मिल सकता है.

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ऑटिज्म इंटरवेंशन क्लीनिक में काम करेगी विशेष टीम

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में खुले ऑटिज्म इंटरवेंशन क्लीनिक में एक स्पेशल टीम काम करेगी जिसमें पीडियाट्रिक, डेवलपमेंट पीडियाट्रिशियन, न्यूरोलॉजिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच एंड लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट के साथ साथ स्पेशल एजुकेटर और ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ शामिल होगा. बच्चों को स्पेशल ऑटिज्म केयर देने के साथ साथ यहीं मरीजों के लिए ईईजी, एनसीवी, विजन असेसमेंट और बीईआए जैसी फैसिलिटी भी उपलब्ध होंगी.

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क्या है बच्चों में ऑटिज्म और इसके लक्षण 

ऑटिज्म वो स्थिति है जिसमें बच्चा एक न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर का शिकार होता है. कुछ बच्चे इसके जन्म से शिकार होते हैं औऱ कुछ बच्चों में ये दो से पांच साल की उम्र में दिखना शुरु हो जाती है. बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण शुरुआत में ही दिखने लगते हैं.

जैसे बच्चे का दूसरे व्यक्ति की आंखों से कम संपर्क करना, दूसरों को देखकर रिएक्ट ना करना, आस पास की चीजों में कम इंटरेस्ट लेना,बातचीत पर फोकस ना करना, भाषा या दूसरी चीजों को सीखने में दिक्कत करना, बात बात पर गुस्सा करना और रिएक्ट करना, हाथ पैरों पर कम कंट्रोल होना आदि. ऐसे बच्चे सामाजिक माहौल में घुल मिल पाने में असमर्थ होते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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