Cancer Treatment: मुंबई स्थिति टाटा इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने ऐसी दवा बनाने का दावा किया है जिसके जरिए कैंसर की चौथी और अंतिम स्टेज यानी मेटास्टेटिक कैंसर का इलाज करने में आसानी हो सकेगी. मेटास्टेटिक कैंसर को स्टेज 4 कैंसर कहते हैं जिसमें कैंसर की कोशिकाएं मुख्य जगह से अलग होकर बॉडी के दूसरे हिस्सों में फैल जाती हैं. इसी मेटास्टेटिक कैंसर के रिस्क को कम करने की दिशा में टाटा इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने 'न्यूट्रास्युटिकल थेरेपी' (Nutraceutical Therapy) डेवलप की है जिसमें रेसवेरेट्रॉल और कॉपर की संयुक्त प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट को इस्तेमाल किया जाएगा.
दोबारा कैंसर होने से रोकने में मिलेगी मदद
इस दवा के जरिए चौथी स्टेज के कैंसर को रिस्क को कम करने में मदद मिलेगी. आपको बता दें कि अभी तक कैंसर के पूरे इलाज के बाद भी कैंसर सेल्स शरीर पर फिर से हमला कर देती थी लेकिन इस दवा के जरिए ऐसा होने से रोके जाने में मदद मिल सकेगी.
रिसर्च में किया गया दावा
मुंबई में स्थित एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (ACTREC) अस्पताल के डॉक्टर इंद्रनील मित्रा ने बताया कि डॉक्टरों ने पहले चूहो पर शोध किया और चूहों की बॉडी में इंसानों की कैंसर कोशिकाओं को डाला गया. कुछ दिन बाद चूहों में कैंसर विकसित हुआ. इसके बाद रेडिएशन, कीमोथैरेपी और सर्जरी के जरिए उनका इलाज किया गया. इस सामान्य और प्रचलित इलाज में कैंसर कोशिकाएं छोटे छोटे टुकड़ों में टूटकर नष्ट तो हो गईं लेकिन कुछ कोशिकाएं शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल गई जिससे कैंसर के फिर से होने का रिस्क बढ़ गया. डॉक्टर इंद्रनील मित्रा ने कहा कि इसके बाद चूहों को 'न्यूट्रास्युटिकल थेरेपी' के तहत रेसवेरेट्रॉल और कॉपर (तांबा) की कंबाइन प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट दी गई जिसके अलग और अप्रत्याशित रिजल्ट दिखाई दिए.
अब ₹100 में हो सकेगा कैंसर का इलाज ?
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की इस रिसर्च में दावा किया गया है कि रेसवेरेट्रॉल और कॉपर (तांबा) की कंबइन प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट दिए जाने के बाद शरीर में क्रोमेटिन कणों को बेअसर करने में सफलता मिली. यही क्रोमेटिन कण शरीर में फिर से कैंसर होने का खतरा पैदा करते हैं. कहा जा रहा है कि कॉपर-रेसवेरेट्रॉल कंबाइन प्रो-ऑक्सिडेंट एक घरेलू नुस्खे के तहत बनाई गई है. जो कैंसर के आखिरी स्टेज के कैंसर के दौरान होने वाले साइड इफेक्ट को रोकने में भी कारगर साबित होती है.
दवा को मंजूरी मिलने का इंतजार
डॉक्टरों का कहना है कि रिजल्ट अच्छे आए हैं और अब इस टैबलेट को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मंजूरी मिलने का इंतजार है. आपको बता दें कि कैंसर के दूसरे इलाज की अपेक्षा यह टैबलेट काफी सस्ती है और इसकी कीमत महज 100 रुपए है. ये दवा कैंसर को खत्म करने के लिए की जाने वाली कीमोथैरेपी के साइड इफेक्ट भी कम करेगी औऱ दूसरी बार कैंसर होने की आशंका को भी रोक देगी. अगर दवा को मंजूरी मिल जाती है तो तीन से चार महीने में ये बाजार में उपलब्ध हो सकेगी.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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