टीबी के मरीज के फेफड़ों में गंभीर इंफेक्शन हो जाता है. ऐसे में लैसेंट की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अगर अच्छा खानपान का पालन किया जाए तो टीबी के मरीज का इंफेक्शन 40-50 प्रतिशत कम किया जा सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टीबी की बीमारी में मरीज का वजन काफी जल्दी घट जाता है. ऐसे में मृत्यु का जोखिम 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. इस रिपोर्ट में एक रिसर्च के बारे में बात कि गई जिसमें कहा गया कि जब झारखंड के एक 18 साल आदिवासी जोकि टीबी का मरीज था. टीबी अपने इतने खतरनाक रूप में था कि उनका शरीर एकदम बेकार हो गया था. उसका वजन सिर्फ 26 किलो था.
झारखंड में किए एक रिसर्च के मुताबिक
18 साल आदिवासी युवक बिस्तर पर पड़ा हुआ एक लाश की तरह जिसके जीने की कोई उम्मीद नहीं थी. परिवार को दिन में एक वक्त का भोजन भी मुश्किल से मिल पाता था. जिससे उनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो गई थी. लेकिन जब उस मरीज को पौष्टिक खाने के पैकेट दिए गए तो छह महीने में लड़के के शरीर का वजन 16 किलो बढ़ गया. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वह इस रिसर्च का का हिस्सा भी बना, जिसने दिखाया कि अच्छे आहार और पोषण से न केवल संक्रमित रोगियों के साथ रहने वाले कमजोर लोगों में तपेदिक (टीबी) की घटनाओं को रोकने में मदद मिली. बल्कि रोगियों में मृत्यु दर पर भी कंट्रोल किया जा सका. ये निष्कर्ष आईसीएमआर के दो नए स्टडी के परिणाम थे और 'द लैंसेट' और 'द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ पत्रिकाओं' में यह रिपोर्ट पब्लिश हुए हैं. झारखंड में आयोजित यह स्टडी अपने आप में एक सबूत है कि अच्छा पोषण से टीबी के मरीज की जान बचाई जा सकती है. साथ ही इसे फैलने से भी रोका जा सकता है.
टीबी के मरीज को पोषण संबंधी सुधार करने होंगे
पोषण संबंधी स्थिति में सुधार द्वारा टीबी की सक्रियता को कम करने (RATIONS) परीक्षण के नए साक्ष्य से पता चलता है कि संक्रामक फेफड़ों के टीबी वाले रोगियों के संपर्कों के बीच बेहतर पोषण से टीबी के सभी रूपों की घटनाओं को 40 प्रतिशत और संक्रामक टीबी को लगभग 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. गौरतलब है कि इसमें यह भी पाया गया कि टीबी के कम वजन वाले रोगियों में जल्दी वजन बढ़ने से उनकी मृत्यु का जोखिम 60 प्रतिशत तक कम हो सकता है. पहले दो महीनों में जल्दी वजन बढ़ने से टीबी से होने वाली मृत्यु का जोखिम 60 प्रतिशत कम हो जाता है.
रिसर्च के मुताबिक 2,800 टीबी रोगियों के 10,345 घरेलू संपर्कों को नियमित भोजन पार्सल और अतिरिक्त सूक्ष्म पोषक तत्व -750 किलो कैलोरी. 23 ग्राम प्रोटीन प्राप्त करने के लिए यादृच्छिक किया गया था. कुल 5,621 लोगों को एक वर्ष के लिए पोषक तत्वों से भरपूर भोजन दिया गया. जबकि 4,724 लोगों को बिना किसी अतिरिक्त पोषण के खाद्य पार्सल प्राप्त हुए. परीक्षण के अंत में, नियंत्रण समूह की तुलना में हस्तक्षेप समूह में टीबी की घटनाओं में 39 प्रतिशत की कमी आई. दूसरे अध्ययन में छह महीने तक टीबी के 2,800 रोगियों का अध्ययन किया गया और पाया गया कि अतिरिक्त पोषण उपचार के दौरान वजन बढ़ने से मृत्यु का जोखिम कम हो गया, खासकर पहले दो महीनों के भीतर जब मौतें होती हैं. एक प्रतिशत वजन बढ़ने पर मृत्यु का तात्कालिक जोखिम 13 प्रतिशत कम हो गया और 5 प्रतिशत वजन बढ़ने पर 61 प्रतिशत कम हो गया.
ये निष्कर्ष ऐसे समय में आए हैं जब सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2025 तक टीबी को खत्म करने का वादा किया है. गौरतलब है कि इनका नीति कार्यान्वयन स्तर पर प्रभाव हो सकता है. राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम के तहत, जिन रोगियों में तपेदिक का निदान किया जाता है, उन्हें उनके उपचार की अवधि के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 500 रुपये मासिक पोषण सहायता दी जाती है. 2018 में इसकी शुरुआत के बाद से, इस नि-क्षय पोषण योजना के तहत 244 मिलियन डॉलर प्रदान किए गए हैं. इसके अलावा, सरकार ने पिछले साल नि-क्षय मित्र कार्यक्रम भी शुरू किया, जिससे स्वयंसेवकों को अपने गोद लिए गए रोगियों को मासिक पोषण किट प्रदान करने की अनुमति मिल सके.