महाराष्ट्र के बदलापुर में कुछ हफ़्ते पहले एक स्कूल में सफाई कर्मचारी ने 4 साल की दो लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न करने की घटना सामने आई थी. पुणे का एक दूसरा मामला जिसमें एक 11 साल की लड़की के साथ  मारपीट की घटना सामने आई. उसके स्कूल में 'गुड टच-बैड टच' (GTBT) का क्लास चल रहा था उस दौरान उसके साथ मारपीट की गई.


साल 2019 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में हर 16 मिनट में एक बलात्कार की सूचना मिलती है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक युवा डॉक्टर आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले पर टिप्पणी करते हुए एक प्रेस बयान में कहा, 'पीड़ितों में किंडरगार्टन की लड़कियां भी शामिल हैं. कोई भी सभ्य समाज बेटियों और बहनों को इस तरह के अत्याचारों का शिकार होने की अनुमति नहीं दे सकता.


आमिर ने पढ़ाया गुड और बैड टच का पाठ


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक्टिर आमिर खान टीवी पर एक शो करते थे. उसका नाम था सत्यमेव जयते. इसमें उन्होंने गुड और बैड टच को लेकर बच्चों से खुलकर बात की थी. 10 साल की उम्र से ही लड़कों और लड़कियों को पेशेवरों द्वारा ट्रेनिंग किया जाना चाहिए. उनके शरीर के अंगों के बारे में और एक-दूसरे के प्रति सम्मान भी पैदा करना चाहिए. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें सही और वैज्ञानिक रूप से सटीक जानकारी मिले. 


 आजकल चीजें बहुत बदल गई हैं. यह बच्चों के लिए उतना सुरक्षित नहीं है जितना पहले हुआ करता था. दो बच्चों की मां डिंपल लड्ढा ने कहा, जिन्होंने अपनी बेटी को "गुड टच और बैड टच" के बारे में तब से समझाना शुरू किया जब वह तीन साल की थी. लगभग उसी समय जब उसने प्रीस्कूल जाना शुरू किया था. लड्ढा ने इस संबंध में घर पर ही प्रारंभिक शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा,'मैंने उन्हें सिखाया कि शरीर के किन अंगों को किसी को नहीं छूना चाहिए.' बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले है और जीटीबीटी की अवधारणा उनकी सुरक्षा में एक आवश्यक उपकरण है. मुंबई के खार स्थित पीडी हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी की सलाहकार मनोविज्ञान और परामर्शदाता शीना सूद ने कहा,'जितनी जल्दी हम बच्चों को अपने शरीर का सम्मान करना सिखाएंगे, उतनी ही जल्दी वे यह सुनिश्चित करेंगे कि दूसरे भी उनके शरीर का सम्मान करें.'


क्या होता है बैड और गुड टच


गुड टच प्यार और विश्वास को दर्शाता है जैसे कि माता-पिता द्वारा बच्चे को दिलासा देना. एक छोटे बच्चे को आश्वासन के रूप में अपने किसी करीबी द्वारा टच की जाती है. तो इस तरह के टच को गुड टच कहते हैं. इस तरह के टच गुड टच में आते हैं. भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय पुणे में स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के निदेशक प्रोफेसर शारंगधर साठे ने बताया कि उनके माता-पिता - डॉ ए जी साठे और डॉ शांता साठे ने इस क्षेत्र में 40 से अधिक सालों तक काम किया है और पूरे भारत में कई शिक्षकों को ट्रेनिंग भी दिया है. 


दूसरी ओर, बैड टच गंदे तरीके के टच को कहते हैं. जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को बिना अनुमति या गलत इरादे से छूता है, तो यह बुरा स्पर्श होता है. कोई भी स्पर्श जो बच्चे को असहज करता है, इस श्रेणी में आता है, और उन्हें स्पष्ट रूप से “नहीं” कहना और दूर चले जाना सिखाया जाना चाहिए. 13 साल लड़की की मां, मथांगी बद्रीनाथन ने अपनी बेटी को स्पर्श के बारे में सिखाना शुरू कर दिया, जब वह अपने आस-पास के वातावरण को समझने लायक हो गई, लगभग दो साल की उम्र में.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


Almond Peel: बच्चों और बुजुर्गों को क्यों नहीं खाने चाहिए बादाम के छिलके? जानिए क्या होता है नुकसान