'हवाना सिंड्रोम' नाम से जानी जाने वाली मिस्टिरियस बीमारी कई सालों से डॉक्टरों और साइंटिस्टों को परेशान कर रही है. अब ऐसा कहा जा रहा है कि भारत भी इस बीमारी से प्रभावित हो सकता है. भारत में इन दिनों कुछ मामलें सामने आए हैं. भारत सरकार इस बीमारी को लेकर डाक्टर और साइंटिस्टों को गौर करने के लिए कहा जिसके बाद यह सिंड्रोम सुर्खियों में बना हुआ है.
अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बीमारी पर काम कर रहे अधिकारियों ने पिछले कुछ सालों में ताइवान, ऑस्ट्रिया, जॉर्जिया, कोलंबिया, मॉस्को, किर्गिस्तान, पोलैंड, उज्बेकिस्तान और अन्य सहित दुनिया भर से हवाना सिंड्रोम के 130 से अधिक मामलों की सूचना दी है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस वियतनाम के हनोई के लिए उड़ान भरने वाली थीं, लेकिन वियतनाम में एक अमेरिकी अधिकारी द्वारा लक्षणों की सूचना के बाद उनकी यात्रा में देरी हो गई.
उसी साल भारत में इस तरह का पहला मामला सामने आया जब एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स के साथ नई दिल्ली की यात्रा कर रहा था.यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इस स्थिति से क्या दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन सिंड्रोम और इसके संभावित कारणों के बारे में अधिक जानने और समझने के लिए शोध जारी है. यह अजीब सी होने वाली बीमारी नर्वस सिस्टम से संबंधित है. दुनियाभर के कई देशों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई. लेकिन अब तक इसका पुख्ता कारण नहीं मिला है कि आखिर यह बीमारी बढ़ता कैसे है. यह एक रहस्यमयी बीमारी है.
यह शब्द साल 2016 में सुर्खियों में तब गढ़ा गया था जब अमेरिकी और कनाडाई राजनयिकों और क्यूबा में तैनात सीआईए एजेंटों को चक्कर आना, दिखाई न देना, ठीक से सुनाई न देना इन कठिनाइयों जैसे कई लक्षणों का अनुभव होने लगा था. लक्षणों का कारण एक रहस्य बना हुआ है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एक प्रकार का आवाज जाना जिम्मेदार हो सकता है, जो पीड़ितों को किसी प्रकार की ऊर्जा तरंग के संपर्क में लाता है.
ऐसा माना जाता है कि यह किसी प्रकार के ऊर्जा हथियार या निर्देशित ऊर्जा उपकरण के कारण होता है. यह प्रभावित लोगों की रिपोर्टों पर आधारित है कि उनके लक्षणों की शुरुआत से पहले एक अजीब सी आवाज आती थी. ध्वनि को ध्वनि की तेज़ किरण या गुनगुनाहट पीसने वाली आवाज़ के रूप में वर्णित किया गया है. अनुमान लगाया गया है कि यह शोर किसी प्रकार की माइक्रोवेव ऊर्जा या चुंबकीय क्षेत्र के कारण होता है.
हवाना सिंड्रोम के प्रभाव
हवाना सिंड्रोम के मरीज बहुत जल्दी कमजोर हो जाते हैं. यह बीमारी काफी लंबे समय तक रहने वाले हो सकते हैं. प्रभावित लोगों ने एकाग्रता और याददाश्त में समस्या, सोने में कठिनाई, सिरदर्द और मतली की शिकायत की है. बोलने और सुनने में दिक्कत तक हो जाती है.
हवाना सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
बीमारी की रहस्यमय प्रकृति को देखते हुए, इसका उचित निदान और इलाज करना मुश्किल है. लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं और इसमें मतली, सिरदर्द, शरीर का बैलेंस बिगड़ना और सुनाई और दिखाई न देना शामिल हो सकती है. कुछ पीड़ितों ने अत्यधिक थकान या भटकाव महसूस करने की भी सूचना दी है.
पिछले कुछ सालों से चीन, रूस और अन्य यूरोपीय देशों सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के लक्षण सामने आए हैं. भारत में भी लंबे समय तक तेज़ आवाज़ या इलेक्ट्रॉनिक तरंगों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों में हवाना सिंड्रोम जैसे लक्षणों के मामले सामने आए हैं.
हवाना सिंड्रोम के उपचार क्या हैं?
हवाना सिंड्रोम से प्रभावित लोगों के लिए, इसके लक्षणों को कम करने में मदद के लिए वर्तमान में कोई इलाज या उपचार उपलब्ध नहीं है. हालांकि, संभावित उपचारों पर शोध जारी है और इस रहस्यमय स्थिति से प्रभावित लोगों की मदद के लिए एक दिन नए उपचार उपलब्ध हो सकते हैं. इस बीच, प्रभावित लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने किसी भी लक्षण के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और यदि आवश्यक हो तो पेशेवर चिकित्सा सलाह लें.
हवाना सिंड्रोम पर भारत सरकार
इस बीमारी पर विचार करने के लिए भारत सरकार ने इस पर आगे विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया है. यह समिति भारत में हवाना सिंड्रोम जैसे लक्षणों की सभी रिपोर्टों की जांच करेगी, और किसी भी संभावित पर्यावरणीय या मानव निर्मित कारकों पर भी विचार करेगी जो इसमें योगदान दे सकते हैं. सरकार इस स्थिति से प्रभावित लोगों के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित करने की भी योजना बना रही है ताकि उन्हें जल्दी और आसानी से चिकित्सा सहायता मिल सके.