क्या कोरोना की तरह फैल सकता है खतरनाक गुलेन बैरी सिंड्रोम? जान लीजिए जवाब
कोरोना की तरह गुलेन बैरी सिंड्रोम भी ले सकती है महामारी का रूप? इस पर एक रिसर्च पब्लिश हुई है जिसमें दोनों बीमारियों के लक्षणों के ऊपर विस्तार से चर्चा की गई है.
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कोरोनावायरस की बीमारी साल 2020 के शुरुआत हुई थी और देखते-देखते एक महामारी का रूप ले लिया था. इस महामारी ने तीन सालों तक पूरी दुनिया को अस्त-वस्त करके रखा हुआ था. अब जीबीएस (गुलेन बैरी सिंड्रोम) बीमारी भी तेजी से फैल रही है. पुणे में इस बीमारी को लेकर एक मौत और 116 इसके केसेस सामने आए हैं. कई लोग वेंटिलेटर पर हैं. इसे लेकर कई सारे सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह बीमारी महामारी का रूप ले सकती है? हाल के महीनों में कई रिसर्च और केस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि COVID-19 और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के बीच एक खास तरह का कनेक्शन है.
दोनों बीमारी कैसे फैलती है इसे लेकर खास चर्चा जारी है
दोनों बीमारियों को लेकर किए गए रिसर्च में 156 अध्ययन को शामिल किया गया, जिसके इसमें 436 मरीज को शामिल किया गया. निष्कर्षों से पता चलता है कि मरीजों की औसत आयु 61.38 वर्ष है और उनमें से अधिकांश पुरुष हैं. GBS के लक्षण COVID-19 संक्रमण की शुरुआत के औसतन 19 दिन बाद शुरू हुए. जीबीएस के संबंध में मुख्य रूप से पाए गए लक्षणों में कमज़ोरी, रिफ़्लेक्स कमी, चेहरे की एक तरफ/लकवा और हाइपोस्थीसिया जैसी चीजें शामिल हैं. GBS कितनी खतरनाक बीमारी?
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (NINDS) के अनुसार, गुलेन बैरी सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिजीज है. इसमें पेरीफेरल नर्व्स डैमेज हो जाती है और इसमें सूजन आ जाती है. NINDS के मुताबिक, जीबीएस के मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग, कार्डियक अरेस्ट और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. दुनिया में हर साल इससे पीड़ित करीब 7.5% मरीजों की मौत हो जाती है. 20% मरीजों को वेंटिलेटर पर जाना पड़ता है और 25% मरीज कम से कम 6 महीने तक चल-फिर नहीं पाते हैं.
गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण
धड़कन बढ़ना
चेहरे पर सूजन
सांस लेने में तकलीफ
चलने-फिरने में परेशानी
आंख के आगे धुंधलापन
गर्दन घुमाने में समस्या
चुभन के साथ शरीर में दर्द
हाथ-पैर में कमजोरी और कंपकंपी
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का इलाज
1. प्लाज्मा एक्सचेंज- यह एक प्रक्रिया है जिसमें ब्लड से इम्यून सिस्टम के कोशिकाओं को हटाया जाता है और फ्रेश प्लाज्मा से बदला जाता है.
2. इम्यूनोग्लोबुलिन- यह एक तरह का प्रोटीन है, जो इम्यून सिस्टम को दबाने में मदद करता है.
3. कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स- यह एक दवा है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक करने में काम आती है.
4. फिजियोथेरेपी. इसमें मांसपेशियों और जॉइंट की ताकत को बढ़ाने की कोशिश कीजाती है.
जीबीएस से बिल्कुल अलग होते हैं कोरोना के लक्षण
गले में खराश
छींक, बहती नाक, बंद नाक,
बिना कफ वाली खांसी
सिर दर्द
मांसपेशियों में दर्द
गंध ना आना
कपकपी के साथ बुखार
सांस लेने में समस्या
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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